देश

वकीलों के गलत बयान देने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज:कहा- हमारा भरोसा हिल रहा, रोज 80 केस लिस्ट होते हैं, हर पेज से गुजरना मुश्किल

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई है। 10 सितंबर के अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि दोषियों को रिहाई में छूट दिलाने के लिए वकील झूठ बोलते हैं। इससे हमारी आस्था डगमगा जाती है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि वकील बार-बार अदालत के सामने और दोषियों की समयपूर्व रिहाई के लिए दायर याचिकाओं में झूठे बयान पेश करते हैं। पिछले तीन सप्ताह में हमें ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं, जिनमें याचिका में झूठे बयान दिए गए हैं। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हर रोज हर बेंच के सामने 60 से 80 मामले लिस्ट होते हैं। जज के लिए अदालत में लिस्ट हर एक मामले के हर एक पेज पढ़ना संभव नहीं होता है। हालांकि, सभी मामले को बहुत ही सावधानीपूर्वक देखने का प्रयास किया जाता है। हमारी प्रणाली विश्वास पर काम करती है हमारी प्रणाली विश्वास पर काम करती है। जब हम मामलों की सुनवाई करते हैं तो हम बार के सदस्यों पर भरोसा करते हैं। लेकिन जब हम इस तरह के मामलों का सामना करते हैं, तो हमारा विश्वास डगमगा जाता है। इस अदालत में बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की जा रही हैं, जिनमें स्थायी छूट न दिए जाने की शिकायत की गई हैं। पिछले तीन सप्ताह में यह छठा या सातवां मामला है, जिनमें याचिकाओं में साफ तौर पर झूठे बयान दिए गए हैं। बेंच ने कहा- याचिका में झूठ बोल गया, अदालत में झूठे बयान दिए गए पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो चार याचिकाकर्ताओं में से एक के मामले पर विचार करे, जिसने लागू पॉलिसी के मुताबिक जेल में 14 साल की सजा काट ली है। इसके अलावा दो अन्य याचिकायों को राहत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्होंने जेल में जरूरी 14 साल की सजा पूरी नहीं की है। पीठ ने कहा कि चौथे दोषी को हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देनी होगी। क्योंकि सरकार ने उसे छूट देने से इनकार किया है। पीठ ने इन निर्देशों के साथ चारों दोषियों की छूट के लिए दायर याचिका खारिज कर दी। इसी तरह रिहाई में छूट से संबंधित एक और मामले में बेंच ने पाया कि जिन अपराधों में पांचों आरोपियों को दोषी ठहराया गया है, उनके संबंध में गलत बयान दिए गए। उनकी याचिका में कहा गया कि पांचों को हत्या के आरोप में दोषी पाया गया है। सुनवाई में अदालत को पता चला कि दो आरोपियों पर और भी केस हैं। एक को आर्म्ड लाइसेंस के तहत दोषी ठहराया गया था। दूसरे को फिरौती के लिए अपहरण और सबूत नष्ट करने के अपराध के लिए भी दोषी ठहराया गया था। पीठ ने कहा कि समय से पूर्व रिहाई के लिए रिट की मांग करने वाली याचिका में अपराध का नेचर पर विचार होना चाहिए। पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह छूट के लिए उनके मामलों पर गौर करे और तदनुसार आदेश पारित करे। यह खबर भी पढ़ें…
CJI बोले- SC के जजों के पास सातों दिन काम:5 दिन 50 केसों की सुनवाई, शनिवार को फैसला लिखवाते, रविवार को सोमवार की फाइल पढ़ते हैं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने जजों की छुट्टी और पेंडिंग केस की गति को लेकर कहा- सुप्रीम कोर्ट के जज सातों दिन काम करते हैं। सोमवार से शुक्रवार तक 40-50 मामले निपटाते हैं, शनिवार को छोटे केसेस पर सुनवाई होती है। इसी दिन सुरक्षित रखे गए फैसलों को लिखवाया जाता है। रविवार को सोमवार के केस पढ़े जाते हैं। पूरी खबर पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- बुलडोजर एक्शन कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा:आरोप संपत्ति नष्ट करने का आधार नहीं, गुजरात सरकार 4 हफ्तों में जवाब दे सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (12 सितंबर) को कहा कि बुलडोजर एक्शन देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है। किसी के अपराध में शामिल होने का आरोप उसकी संपत्ति ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने गुजरात सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। पूरी खबर पढ़ें…

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

​   

​ 

​सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई है। 10 सितंबर के अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि दोषियों को रिहाई में छूट दिलाने के लिए वकील झूठ बोलते हैं। इससे हमारी आस्था डगमगा जाती है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि वकील बार-बार अदालत के सामने और दोषियों की समयपूर्व रिहाई के लिए दायर याचिकाओं में झूठे बयान पेश करते हैं। पिछले तीन सप्ताह में हमें ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं, जिनमें याचिका में झूठे बयान दिए गए हैं। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हर रोज हर बेंच के सामने 60 से 80 मामले लिस्ट होते हैं। जज के लिए अदालत में लिस्ट हर एक मामले के हर एक पेज पढ़ना संभव नहीं होता है। हालांकि, सभी मामले को बहुत ही सावधानीपूर्वक देखने का प्रयास किया जाता है। हमारी प्रणाली विश्वास पर काम करती है हमारी प्रणाली विश्वास पर काम करती है। जब हम मामलों की सुनवाई करते हैं तो हम बार के सदस्यों पर भरोसा करते हैं। लेकिन जब हम इस तरह के मामलों का सामना करते हैं, तो हमारा विश्वास डगमगा जाता है। इस अदालत में बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की जा रही हैं, जिनमें स्थायी छूट न दिए जाने की शिकायत की गई हैं। पिछले तीन सप्ताह में यह छठा या सातवां मामला है, जिनमें याचिकाओं में साफ तौर पर झूठे बयान दिए गए हैं। बेंच ने कहा- याचिका में झूठ बोल गया, अदालत में झूठे बयान दिए गए पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो चार याचिकाकर्ताओं में से एक के मामले पर विचार करे, जिसने लागू पॉलिसी के मुताबिक जेल में 14 साल की सजा काट ली है। इसके अलावा दो अन्य याचिकायों को राहत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्होंने जेल में जरूरी 14 साल की सजा पूरी नहीं की है। पीठ ने कहा कि चौथे दोषी को हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देनी होगी। क्योंकि सरकार ने उसे छूट देने से इनकार किया है। पीठ ने इन निर्देशों के साथ चारों दोषियों की छूट के लिए दायर याचिका खारिज कर दी। इसी तरह रिहाई में छूट से संबंधित एक और मामले में बेंच ने पाया कि जिन अपराधों में पांचों आरोपियों को दोषी ठहराया गया है, उनके संबंध में गलत बयान दिए गए। उनकी याचिका में कहा गया कि पांचों को हत्या के आरोप में दोषी पाया गया है। सुनवाई में अदालत को पता चला कि दो आरोपियों पर और भी केस हैं। एक को आर्म्ड लाइसेंस के तहत दोषी ठहराया गया था। दूसरे को फिरौती के लिए अपहरण और सबूत नष्ट करने के अपराध के लिए भी दोषी ठहराया गया था। पीठ ने कहा कि समय से पूर्व रिहाई के लिए रिट की मांग करने वाली याचिका में अपराध का नेचर पर विचार होना चाहिए। पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह छूट के लिए उनके मामलों पर गौर करे और तदनुसार आदेश पारित करे। यह खबर भी पढ़ें…
CJI बोले- SC के जजों के पास सातों दिन काम:5 दिन 50 केसों की सुनवाई, शनिवार को फैसला लिखवाते, रविवार को सोमवार की फाइल पढ़ते हैं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने जजों की छुट्टी और पेंडिंग केस की गति को लेकर कहा- सुप्रीम कोर्ट के जज सातों दिन काम करते हैं। सोमवार से शुक्रवार तक 40-50 मामले निपटाते हैं, शनिवार को छोटे केसेस पर सुनवाई होती है। इसी दिन सुरक्षित रखे गए फैसलों को लिखवाया जाता है। रविवार को सोमवार के केस पढ़े जाते हैं। पूरी खबर पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- बुलडोजर एक्शन कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा:आरोप संपत्ति नष्ट करने का आधार नहीं, गुजरात सरकार 4 हफ्तों में जवाब दे सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (12 सितंबर) को कहा कि बुलडोजर एक्शन देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है। किसी के अपराध में शामिल होने का आरोप उसकी संपत्ति ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने गुजरात सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। पूरी खबर पढ़ें… 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!