महाकुंभ में आशुतोष राणा ने किया पवित्र स्नान, बोले – “मेरे लिए यह एक भावुक पल”
जाने माने फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने संगम में डुबकी लगाई। उन्होंने कहा कि त्रिवेणी में स्नान के बाद उन्हें बेहद साकारात्मक अनुभूति हुई। उन्होंने ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का आशीर्वाद भी लिया।

Mahakunbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है। देश-विदेश से करोड़ों लोग संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। आम जनता से लेकर बड़े-बड़े संत, राजनेता और बॉलीवुड सितारे भी इस पवित्र अवसर पर शामिल हो रहे हैं। इसी क्रम में मंगलवार को मशहूर बॉलीवुड अभिनेता आशुतोष राणा भी महाकुंभ पहुंचे और संगम में स्नान कर आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया।
भावुक हुए आशुतोष राणा, गुरु की अनुपस्थिति में पहली बार पहुंचे कुंभ
महाकुंभ में स्नान के बाद आशुतोष राणा ने आईएएनएस से खास बातचीत की और इसे एक भावुक क्षण बताया। उन्होंने कहा,
“मैंने आज महाकुंभ में स्नान किया है। सभी जानते हैं कि यहां आकर संतों के दर्शन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। मैंने पहली बार शंकराचार्य जी के दर्शन किए और उन्होंने मुझे ढेर सारा आशीर्वाद दिया। लेकिन यह कुंभ मेरे लिए खासकर इसलिए भावुक है क्योंकि पहली बार मैं अपने गुरुदेव पंडित देव प्रभाकर शास्त्री जी की अनुपस्थिति में यहां आया हूं। जब भी मैं प्रयागराज कुंभ में आया, हमेशा अपने गुरुदेव के साथ आया, लेकिन अब वह हमारे बीच नहीं हैं। उनके बिना यहां आकर स्नान करना मेरे लिए एक गहरा भावनात्मक अनुभव है।”
स्नान, दान और ध्यान का महत्व बताया
आशुतोष राणा ने महाकुंभ के आध्यात्मिक महत्व को समझाते हुए कहा कि यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का भी पर्व है। उन्होंने कहा,
“महाकुंभ में तीन चीजों का विशेष महत्व है – स्नान, दान और ध्यान। जब हम गंगा में स्नान करते हैं तो हमारा तन पवित्र होता है, जब हम जरूरतमंदों को दान करते हैं तो हमारा धन पवित्र होता है, और जब हम ध्यान करते हैं तो हमारा मन पवित्र होता है। मैंने आज स्नान और दान दोनों कर लिए हैं, अब ध्यान भी करूंगा।”
हर कुंभ में करते हैं स्नान, माघ मेले में भी रहते हैं शामिल
आशुतोष राणा ने बताया कि वह प्रयागराज में अब तक दो कुंभ और दो अर्धकुंभ में स्नान कर चुके हैं। इतना ही नहीं, वह हर साल प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले में भी आते हैं और संतों के सानिध्य में समय बिताते हैं। उन्होंने कहा कि प्रयागराज का कुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है, और इसमें शामिल होना किसी भी व्यक्ति के लिए सौभाग्य की बात होती है।
तीर्थराज प्रयाग का महत्व बताया
महाकुंभ केवल चार स्थानों पर आयोजित होता है – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। लेकिन प्रयागराज का कुंभ सबसे पवित्र माना जाता है। इस पर बात करते हुए आशुतोष राणा ने कहा,
“हम सभी जानते हैं कि महाकुंभ भारत में चार स्थानों पर आयोजित होता है, लेकिन प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है। यहां गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती का संगम होता है, जो इसे अन्य तीर्थों से अधिक पवित्र बनाता है। यह स्थान केवल एक नदी का संगम नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम भी है। जो कोई भी यहां स्नान करता है, वह पवित्रता और सकारात्मकता से भर जाता है।”
महाकुंभ में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में दिन-ब-दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। देश-विदेश से लाखों लोग आकर संगम में डुबकी लगा रहे हैं। कुंभ मेले में विशाल भंडारे, प्रवचन और धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं। संतों और महापुरुषों के प्रवचन सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा हो रहे हैं।
प्रशासन द्वारा सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह हेल्प डेस्क, खोया-पाया केंद्र और मेडिकल कैंप लगाए गए हैं।
बॉलीवुड सितारों का भी लग रहा जमावड़ा
आशुतोष राणा से पहले भी कई बॉलीवुड हस्तियां कुंभ मेले में पहुंच चुकी हैं। इससे पहले अक्षय कुमार, कंगना रनौत, अनुपम खेर और मिथुन चक्रवर्ती जैसे सितारे महाकुंभ में आकर संगम स्नान कर चुके हैं। इन सेलिब्रिटीज़ की उपस्थिति महाकुंभ के प्रति लोगों की रुचि और आस्था को और भी मजबूत कर रही है।
संस्कृति और आस्था का महापर्व है महाकुंभ
महाकुंभ केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है। यह आयोजन 12 वर्षों में एक बार आता है और इसमें शामिल होना किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन का सबसे पवित्र अनुभव होता है।
आशुतोष राणा जैसे प्रसिद्ध अभिनेता का इसमें आना यह दर्शाता है कि यह पर्व केवल संतों और श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने न केवल इस आयोजन की पवित्रता को महसूस किया, बल्कि इसके आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व को भी सबके सामने रखा।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 में आशुतोष राणा की भागीदारी ने इस आयोजन की भव्यता और आध्यात्मिक महत्त्व को और अधिक उजागर किया है। उनका यह कहना कि “स्नान से तन, दान से धन और ध्यान से मन पवित्र होता है”— इस पवित्र आयोजन के सार को पूरी तरह परिभाषित करता है। उनके लिए यह कुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा भी रही।