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अहमदाबाद: पत्नियों से प्रताड़ित पतियों ने मंगलवार को अहमदाबाद में एक बड़ी रैली निकाली, जिसमें आईटी पेशेवरों, सेना के जवानों और युवा व्यापारियों सहित हजारों पुरुषों ने भाग लिया। इस आयोजन का उद्देश्य समाज और सरकार का ध्यान उन पतियों की ओर आकर्षित करना था, जो घरेलू हिंसा और झूठे मुकदमों का शिकार हो रहे हैं।
अतुल सुभाष को दी गई श्रद्धांजलि
रैली के दौरान हाल ही में आत्महत्या करने वाले बेंगलुरु के आईटी प्रोफेशनल अतुल सुभाष को श्रद्धांजलि दी गई। अतुल ने अपनी पत्नी पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाते हुए एक नोट और वीडियो छोड़ा था, जिसके बाद पुलिस ने उनकी पत्नी, उसके भाई और मां को गिरफ्तार किया था।
पीड़ित पतियों की दास्तां
रैली में शामिल कई पुरुषों ने अपनी दुखभरी कहानियां साझा कीं:
- आईटी प्रोफेशनल: छह साल पहले लव मैरिज करने वाले एक आईटी प्रोफेशनल ने बताया कि शादी के तीन साल बाद उनकी पत्नी ने अपने ऑफिस के सहकर्मी के साथ संबंध बना लिए और उनके खिलाफ झूठा प्रताड़ना का मामला दर्ज करवा दिया। वह न केवल बच्चे को अपने साथ ले गई, बल्कि पति को मिलने भी नहीं देती।
- भारतीय सेना का जवान: एक सैनिक ने बताया कि उनकी पत्नी ने उन पर दहेज का झूठा मामला दर्ज कराया और घर को अपने नाम करने की मांग की। वह उनके सात साल के बेटे को छोड़कर चली गई और अब आधे वेतन की मांग कर रही है।
- व्यवसायी: एक व्यवसायी ने बताया कि शादी के एक साल बाद ही उनकी पत्नी मायके चली गई और उन पर कई झूठे मुकदमे दायर कर दिए। अब उन्हें महीने में तीन बार कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिससे उनका काम प्रभावित हो रहा है।
वाइफ एब्यूज्ड मेन्स एसोसिएशन की मांग
रैली का आयोजन वाइफ एब्यूज्ड मेन्स एसोसिएशन ने किया था, जिसके अध्यक्ष दशरथभाई देवड़ा ने कहा, “हमारे संगठन में 76 हजार से ज्यादा पुरुष शामिल हो चुके हैं। झूठे मामलों और पत्नी-समर्थक कानूनों के कारण हजारों पुरुष प्रताड़ित हो रहे हैं। अगर किसी पुरुष की आत्महत्या उसकी पत्नी की प्रताड़ना के कारण होती है, तो पत्नी को सख्त सजा मिलनी चाहिए। सरकार को पुरुषों के लिए भी निष्पक्ष कानून बनाने चाहिए।”
निष्पक्ष कानून की मांग
रैली में शामिल पतियों ने सरकार से अपील की कि घरेलू हिंसा और दहेज मामलों में केवल महिलाओं का पक्ष न लिया जाए, बल्कि पुरुषों को भी समान कानूनी संरक्षण मिले। झूठे मामलों की सख्त जांच हो और दोषी पाए जाने वालों को कड़ी सजा दी जाए।
समाज को सोच बदलने की जरूरत
इस रैली ने एक बार फिर इस बहस को जन्म दिया है कि क्या भारतीय कानूनों में पुरुषों के लिए भी सुरक्षा होनी चाहिए। इस विषय पर समाज और सरकार को मिलकर संतुलित समाधान निकालने की जरूरत है, ताकि कोई भी निर्दोष अन्याय का शिकार न हो।