पयूर्षण पर्व का दूसरा दिन, उत्तम मार्दव धर्म – अनूप जैन
'कुल-रुव-जादि-बुद्धिसु तव-सुद-सीलेसु गारवं किंचि।
पयूर्षण पर्व का दूसरा दिन, उत्तम मार्दव धर्म – अनूप जैन
‘कुल-रुव-जादि-बुद्धिसु तव-सुद-सीलेसु गारवं किंचि।
जो ण वि कुव्वदि समणो मद्दव धम्म हवे तस्स॥’अर्थात मार्दव धर्म उस व्यक्ति को फलीभूत होता है जो जीवन में कुल, रूप, जाति, बुद्धि, तप, श्रुत तथा शील का तनिक गुमान नहीं करता है।- मृदुता का जो भाव है उसको मार्दव कहते हैं, अथवा मान का परिहान करना मार्दव धर्म कहलाता है। उत्तम जाति, कुल, ऐश्वर्य, रूप, ज्ञान, तप, बल, शिल्प इन आठ से युक्त होने पर भी दूसरे जीवों का तिरस्कार करनेवाले अभिमान का अभाव होना मार्दव कहलाता है।
गाडरवारा। आज वीर विद्यानिलय गाड़रवाड़ा में भक्तामर महा स्रोत पर बहुत शानदार नाटिका का मंचन किया गया,जिसमें आठ प्रकार के भय और संकट से धर्म हमे कैसे बचाता,संकट में भक्तामर महा काव्य की आराधना से समस्त भय दूर होकर इंशान निर्भय हो जाता है! प्रस्तुतिकरण बहुत शानदार था ! मोना गोल्डी जैन ने क़रीब 70 लोगो के ग्रुप को लेकर यह कार्यक्रम करवाया ! गाड़रवाड़ा महिला मंडल यह कार्यक्रम करा रहा है! जैन समाज के अध्यक्ष श्री जिनेश जी जैन कार्यक्रम की बहुत प्रसंसा की कार्यक्रम में महिला मंडल अध्यक्ष श्री मति मीता कुलदीप जैन , उपाध्यक्ष श्री मती किरण नायक,रुचि जैन,राशि जैन,स्मृति सौरभ जैन,ख़ुशबू जैन ,आरती कल्पतरु,सपना मोदी,रूबी जैन के उपस्थित थी ,समाज के सभी सम्माननीय जन श्री सिंघाई जी , श्री राजेश शिक्षक जी,आलोक जैन,संजीव है डॉ मोदी जी ,उपस्थित रहे !