खेती से उद्यमिता तक: एफपीओ के जरिए फूड प्रोसेसिंग में अनेक अवसर
कृषि क्रांति : एफपीओ कॉन्क्लेव का भव्य आयोजन, एफपीओ कॉन्क्लेव से सहकार की भावना मजबूत होगी : विश्वास सारंग - एफपीओ और खाद्य प्रसंस्करण को मजबूत बनाना किसानों की आत्मनिर्भरता की कुंजी : कुशवाह
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रिपोर्टर सम्राट अंकित कुशवाहा
भोपाल। ‘कृषि क्रांति : एफपीओ कॉन्क्लेव’ में राज्य सरकार के मंत्रियों, अधिकारियों, विशेषज्ञों, निर्यातकों, क्रेताओं और तकनीकी प्रदाताओं ने एफपीओ के विकास के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इस कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य एफपीओ को खाद्य प्रसंस्करण और निर्यात योग्य उत्पाद तैयार करने में सक्षम बनाना था। कॉन्क्लेव का आयोजन भूमिशा ऑर्गेनिक, डिक्की और सर्च एंड रिसर्च डेवपलमेंट सोयायटी ने किया।
तकनीक और सहकारिता से होगा किसानों का उत्थान
सहकारिता, खेल एवं युवक कल्याण मंत्री श्री विश्वास सारंग ने कहा कि “2047 में स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ तक भारत को विकसित बनाने में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। किसानों को तकनीकी अपनाकर अपनी आय और उत्पादन बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।” उन्होंने सहकारिता को समाज का आधार बताते हुए कहा कि “बिना सहकार नहीं उद्धार, बिना संस्कार नहीं सहकार।” जैविक उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए उन्होंने डिक्की, भूमिशा ऑर्गेनिक और सर्च एंड रिसर्च डेवलपमेंट सोसायटी को सहकारिता विभाग के साथ मिलकर कार्य करने की सलाह दी।
खाद्य प्रसंस्करण से किसानों की आत्मनिर्भरता
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि “एफपीओ और खाद्य प्रसंस्करण को मजबूत बनाना किसानों की आत्मनिर्भरता की कुंजी है।” उन्होंने फसल विविधीकरण और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने घोषणा की कि “राज्य सरकार जल्द ही एक विशाल फूड प्रोसेसिंग सम्मेलन का आयोजन करेगी, जिसमें किसानों, उद्यमियों, क्रेताओं और विक्रेताओं को एक मंच पर लाया जाएगा।”
मार्केट लिंकेज से एफपीओ और स्टार्टअप को मिलेगा नया आयाम
कृषिका नेचुरल्स प्राइवेट लिमिटेड की प्रबंध निदेशक प्रतिभा तिवारी ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों, एफपीओ और एग्री-स्टार्टअप्स को मार्केट लिंकेज से जोड़ना है। उन्होंने बताया कि यह कॉन्क्लेव कृषि नवाचार, मूल्य संवर्धन और आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।
एफपीओ के विकास में अहम योगदान
डिक्की मध्यप्रदेश में संतरा, मोरिंगा, हल्दी और केसर आम के क्लस्टर बनाकर किसानों को संगठित तरीके से बाजार तक पहुंचने में मदद करेगी। डिक्की के अध्यक्ष डॉ. अनिल सिरवैया ने कहा कि “एफपीओ, एफपीसी, सहकारी संस्थाओं और वित्तीय विभागों को एक मंच पर लाकर कृषि उद्योगों के लिए सुगम मार्ग बनाना आवश्यक है।”
सर्च एंड रिसर्च डेवलपमेंट सोसायटी की अध्यक्ष मोनिका जैन ने कहा कि “कृषि क्रांति-2025 सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि कृषि, तकनीक, बाजार और उद्यमिता को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।” कृषि क्रांति-2025 की यह यात्रा केवल आज तक सीमित नहीं है, बल्कि हम मिलकर इसे एक लंबे और सफल आंदोलन में बदलेंगे। सभी की सहभागिता और समर्थन से हम अपने किसानों को आत्मनिर्भर और कृषि क्षेत्र को और अधिक समृद्ध बना सकेंगे।
कृषि रत्न सम्मान एवं सहयोग
कार्यक्रम में 8 एफपीओ और 2 किसानों को ‘कृषि रत्न सम्मान’ प्रदान किया गया, जिनका सम्मान पत्र बांस से तैयार किया गया था। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NSDC) द्वारा PMFME योजना के अंतर्गत 2 एफपीओ को 28.5 लाख रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई, जिसकी पहली किश्त सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग और NSDC की क्षेत्रीय निदेशक इंद्रजीत कौर ने प्रदान की।
विशेषज्ञों के विचार एवं मार्गदर्शन
कॉन्क्लेव में विभिन्न विशेषज्ञों ने भी संबोधित किया, जिनमें सॉलिडरिडाड के जनरल मैनेजर सुरेश मोटवानी, एसबीआई के एजीएम श्री शशांक कुमार, एमपी स्टार्टअप सेंटर के श्री अरुणाभ दुबे, एएनजीसी की डायरेक्टर जयश्री नायर सी-मैप लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आलोक कृष्णा और उद्यानिकी विभाग के अपर संचालक कमल सिंह किराड़ प्रमुख थे।
बायर-सेलर मीट एवं एक्सपोर्ट के अवसर
एपीडा के रीजनल बिजनेस डेवलपमेंट ऑफिसर ने बताया कि “एफपीओ को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश के लिए गुणवत्ता और नियमों की जानकारी आवश्यक है।” एसबीआई के एजीएम ने एफपीओ को विशेष वित्तीय योजनाओं की जानकारी दी। जैन इरीगेशन के स्टेट हेड ने एफपीओ को हाईटेक टेक्नोलॉजी अपनाने की सलाह दी।
बायर-सेलर मीट में निर्यातकों ने फ्रेश वेजिटेबल एंड फ्रूट, फूड पाउडर, मोरिंगा, जैविक उत्पाद, दालें और चावल की अंतरराष्ट्रीय मांग के बारे में जानकारी दी और एफपीओ को इन उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा दी। ‘कृषि क्रांति : एफपीओ कॉन्क्लेव’ ने किसानों, एफपीओ और एग्री-स्टार्टअप्स के लिए एक नए युग की शुरुआत की है, जहां तकनीक, बाजार और सहकारिता मिलकर कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। कार्यक्रम के अंत में कृषि क्रांति कॉन्क्लेव के कॉर्डिनेटर डा राजीव जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।