जंगल में धरने पर आदिवासियों से मिला कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल!कहा-भाजपा सरकार आदिवासी विरोधी
जंगल में धरने पर आदिवासियों से मिला कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल!कहा-भाजपा सरकार आदिवासी विरोधी
रिपोर्टर अवधेश चौकसे
पिपरिया। भाजपा की सरकार आदिवासियों की विरोधी है।कई बार यह बात साबित हुई है। चाहे विगत वर्ष आदिवासी के ऊपर भाजपा नेता के द्वारा मूत्र विसर्जन करने का मामला हो या पचमढ़ी के जंगलों में विस्थापित आदिवासियों के साथ ग्राम नया पर्रास में गत वर्ष बंधक बनाकर मारपीट की घटना हो अथवा उन्हें भूमि से बेदखल कर मुआवजे नहीं देने और उनकी अनसुनी के मामले हों।ऐसे सारे मामले इस सरकार के आदिवासी विरोधी होने का जीता जागता सबूत बने हुए हैं।यह बात कांग्रेस नेताओं ने आदिवासियों से भेंट करने के दौरान कही। कल पिपरिया से कांग्रेस पार्टी के मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव सतना की प्रभारी श्री मनीष राय छोटू भैया ,युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष हुजैफा बोहरा, ,पूर्व विधानसभा प्रत्याशी हरीश बेमन,ब्लॉक कांग्रेस कमेटी,मटकुली के अध्यक्ष रमेश पटेल, युवा कांग्रेस नेता दीपसिंह छाबड़ा,छावनी परिषद,पचमढ़ी के उपाध्यक्ष और ,मंडलम कांग्रेस,लांझी के अध्यक्ष बालकिशन पटेल,कांग्रेस नेता देवीसिंह रघुवंशी, कांग्रेस सोशल मीडिया जिला समन्वयक कमलेश साहू (चिंकू भाई) आदि कांग्रेसी नेताओं ने जंगल में धरना स्थल पर पहुंचकर आदिवासियों का हाल जाना।उनकी बात सुनी और चर्चा की। कांग्रेस नेताओं ने उन्हें विश्वास दिलाया कि न्याय की इस लड़ाई में कांग्रेस उनके साथ खड़ी है।कांग्रेसजनों को आदिवासियों ने भावुक होते हुए सरकार द्वारा उनके साथ किए जा रहे अन्याय की कहानी सुनाई।उन्होंने कहा कि विगत कुछ साल पूर्व सरकार ने यहां अनेक ग्रामों को विस्थापित कर दिया है।कानून का डर बताकर वर्षों से रह रहे हम आदिवासियों को हटा दिया है।इसी समस्या को लेकर वे अपनी भूमि का अधिकार एवं कब्जा लौटाने तथा मुआवजा मांगने यहां पचमढ़ी के पास पनारपानी में कुछ गांव के विस्थापित आदिवासी विगत 4 दिन से धरने पर बैठे हैं। यहां रात का तापमान शून्य से भी नीचे तक पहुंच जाता है।सुबह पेड़ों पर बर्फ की चादर फैली रहती है।मुख्य सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे पालीथीन बिछाकर ग्राम पनारपानी,रोरीघाट, खामखेरी, बदकछार,पगारा पंचायत के ग्रामीण आदिवासी महिला पुरुष भूखे प्यासे धरने पर बैठे हैं।अपने लिए उचित मुआवजे,मकान और भूमि अधिकार हेतु शासन प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। *विस्थापन का सुनकर गांव लौटे तो सब छिन चुका था! * ग्रामीणों का कहना है कि जब व्यवस्थापन हुआ था तब इन ग्रामों के बहुत से ग्रामीणजन कामकाज और रोजी रोटी के लिए गांव से बाहर थे।बहुत से परिवारों के नाम अन्य विभिन्न कारणों से व्यवस्थापन सूची में जुड़ने से छूट गए थे।इनका कहना है कि न उन्हें कोई नोटिस दिया गया था और ही न किसी प्रकार की सूचना दी गई थी।जब इन्हें मालूम हुआ कि इनके गांव विस्थापित किए जा रहे हैं तो वह शहरों या अन्य स्थानों से मजदूरी छोड़ छोड़कर अपने गांव लौटे।तब तक उनसे उनके गांव, मकान और जमीन सरकार द्वारा छीनी जा चुकी थी।उन्होंने वर्ष 2013 में वनविभाग और मध्यप्रदेश शासन से मांग की कि उनके नाम व्यवस्थापन सूची में जोड़े जाएं और उनकी जमीनों,मकानों का उचित मुआवजा और भूमि अधिकार भी अन्य लोगों की तरह ही दिया जावे।ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनके नाम जानबूझकर सर्वे में शामिल नहीं किए गए।उन्होंने व्यवस्थापन में भी अनेक विसंगतियां होने के आरोप लगाए हैं।यह आदिवासी भूमि अधिकार और मुआवजा राशि के लिए 2013 से अब तक ग्यारह साल से लगातार यह मांग करते आ रहे हैं लेकिन आज दिनांक तक न तो व्यवस्थापन सूची में इनके नाम जोड़े गए और न ही इनकी कहीं कोई सुनवाई हुई।ये अपने साथ हो रहे अन्याय से परेशान और मजबूर होकर गांधीवादी मार्ग अपनाकर जंगलों में ही धरने पर बैठ गए।जंगल में इन्हें न पेयजल की कोई सुविधा है,न भोजन पानी की कोई व्यवस्था है और न ही वहां बिजली है। *कांग्रेस ने आदिवासियों को जंगली जानवरों से खतरा बताया!* कांग्रेस नेताओं ने चिंता जताई कि यह इलाका खूंखार जंगली जानवरों बाघ,बाघिन, भालू के मूवमेंट वाला है।इनकी जान का खतरा बना हुआ है।इनकी जान जाती है तो सरकार और स्थानीय अधिकारी ही पूर्ण रूप से जिम्मेदार माने जाएंगे।जिम्मेदार अधिकारियों ने इनकी मांगों को नजर अंदाज कर रखा है।कांग्रेस आदिवासियों की जायज मांगों को पूरा करने उन्हें भूमि अधिकार एवं मुआवजा दिलाने उनके साथ है।वरिष्ठ नेतृत्व को इनकी अद्यतन जानकारी दी जाएगी।