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विकारों के विसर्जन का समय है पर्युषण पर्व, कल से हो रही है शुरुआत

विकारों के विसर्जन का समय है पर्युषण पर्व, कल से हो रही है शुरुआत

विकारों के विसर्जन का समय है पर्युषण पर्व, कल से हो रही है शुरुआत

गाडरवारा । भगवान महावीर ने भाद्रपद महीने की शुक्ल पंचमी से इस परंपरा की शुरुआत की थी। ऐसे में इस साल पर्युषण पर्व की शुरुआत 31 अगस्त, 2024 से हो रही है, जो 8 सितंबर, 2024 तक चलने वाला है। कार्यक्रम के अनुसार दिनांक 31 अगस्त को पर्युषण के प्रारंभ में प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक विभिन्न कार्यक्रम होंगे। 2 सितंबर को भगवान महावीर स्वामी जी के शास्त्र का पूजन, दिनांक 4 सितंबर को भगवान महावीर स्वामी के जन्मोत्सव पर विभिन्न कार्यक्रम होंगे। इसके ही जैन मंदिरों के दर्शन के साथ ही पर्यूषण पर्व का समापन होगा
श्री देव शांतिनाथ श्वेतांबर जैन मंदिर के सरवराहकार ज्ञानचंद डागा ने बताया कि श्वेतांबर जैन धर्म सबसे प्राचीन धर्मों में से एक माना जाता है। जैन धर्म में पर्युषण पर्व का विशेष महत्व माना गया है। यह लगभग 8 दिवसीय जैन त्योहार है, जिसमें समुदाय के लोग आध्यात्मिकता में लिप्त रहते हैं। यह त्यौहार संवत्सरी के साथ समाप्त होता है, जो पर्युषण के आखिरी दिन मनाया जाता है। पर्युषण पर्व को धीरज पर्व, के नाम से भी जाना जाता है। जहां श्वेतांबर जैन अनुयायियों में पर्युषण पर्व 8 दिनों तक मनाने का विधान है, वहीं दिगंबर जैन का पर्युषण पर्व 10 दिनों तक चलता है।
पर्युषण पर्व का महत्व के बारे में श्री डागा ने बताया की पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्म के अनुयायी एक साथ आते हैं और अपने मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए एक साथ उपवास और ध्यान करते हैं। इसे महापर्व भी कहा जाता है। जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जिस दौरान भगवान महावीर ने शिक्षा दी थी उस समय को ही पर्युषण पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस महापर्व साधक को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा देता है।
साथ ही इस दौरान विशेष पूजा-अर्चना, तप और ध्यान आदि भी किया जाता है। इन दिनों में जैन धर्म के लोग व्रत, तप, साधना करके आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं और पूरे वर्ष में जाने-अनजाने में किए गए पापों के लिए ईश्वर से क्षमा याचना भी करते हैं। इस पर्व के दौरान प्रतिदिन शाम को पश्चाताप के लिए प्रतिक्रमण किया जाता है।

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