सिवनी छात्रावास मामला: छात्राओं से पैर दबवाने वाली शिक्षिका निलंबित, दुर्व्यवहार और मारपीट के आरोप
सिवनी छात्रावास मामला: छात्राओं से पैर दबवाने वाली शिक्षिका निलंबित, दुर्व्यवहार और मारपीट के आरोप
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सिवनी: जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास में छात्राओं से जबरन पैर दबवाने और दुर्व्यवहार करने का वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए शिक्षिका को निलंबित कर दिया है। इस घटना ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
सिवनी जिले में स्थित आदिवासी कन्या आश्रम अंग्रेजी माध्यम संचालित अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास में रहने वाली छात्राओं ने आरोप लगाया कि छात्रावास की अधीक्षिका सुजाता मरके उन्हें जबरन पैर दबाने के लिए मजबूर करती थी। जब छात्राओं ने इसका विरोध किया, तो उन्होंने गाली-गलौज की और मारपीट करने की धमकी दी।
पालकों ने की शिकायत, वीडियो हुआ वायरल
- 11 फरवरी 2025 को कुछ छात्राओं ने अपने घर पर फोन कर इस घटना की जानकारी दी।
- पालकों ने तुरंत प्रशासन से शिकायत की और शिक्षिका के दुर्व्यवहार का वीडियो वायरल हो गया।
- वीडियो में साफ दिखाई दिया कि शिक्षिका छात्राओं को जमीन पर बैठाकर अपने पैर दबवा रही थी।
- छात्राएं डरी-सहमी दिख रही थीं, लेकिन विरोध करने पर उन्हें डांट-फटकार कर डराया जा रहा था।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
शिकायत और वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन ने तत्काल जांच शुरू की।
12 फरवरी 2025 को सहायक आयुक्त संजय मरकाम ने बताया कि:
- शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया है।
- इस घटना की गहन जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है।
- छात्रावास की अन्य शिक्षिकाओं और स्टाफ से भी पूछताछ की जा रही है।
- यह देखा जाएगा कि क्या पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं और क्यों इन पर ध्यान नहीं दिया गया।
छात्राओं ने किए और भी चौंकाने वाले खुलासे
जांच के दौरान छात्राओं ने अन्य परेशानियों और दुर्व्यवहार के मामलों का भी खुलासा किया।
- छात्राओं ने बताया कि शिक्षिका उन्हें डांट-डपटकर काम करवाती थी।
- मारपीट और अनुशासन के नाम पर दंडित किया जाता था।
- अगर कोई छात्रा शिकायत करती, तो उसे धमकाया जाता था।
शिक्षा विभाग के नियमों का उल्लंघन
शिक्षा सेवा नियम 1966 के तहत किसी भी सरकारी शिक्षण संस्थान या छात्रावास में छात्राओं से जबरन काम करवाना, गाली-गलौज करना या मारपीट करना दंडनीय अपराध है।
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विशेषज्ञों की राय
शिक्षाविदों और बाल संरक्षण अधिकारियों का कहना है कि:
- छात्राओं के अधिकारों का उल्लंघन गंभीर अपराध है।
- इस तरह के मामलों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।
- छात्राओं की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
अभिभावकों और समाज का आक्रोश
यह घटना सामने आने के बाद अभिभावकों और समाज में भारी आक्रोश देखा जा रहा है।
- अभिभावकों ने प्रशासन से मांग की कि छात्रावासों की निगरानी बढ़ाई जाए।
- छात्राओं को पूरी सुरक्षा दी जाए और दोषी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई हो।
- समाज के लोग इस घटना को शिक्षा विभाग की लापरवाही मान रहे हैं और सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
छात्राओं को मिला प्रशासन का भरोसा
प्रशासन ने छात्राओं को भरोसा दिलाया है कि उनके साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
- छात्रावास की निगरानी बढ़ाने और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने के आदेश दिए गए हैं।
- छात्राओं को कहा गया है कि अगर कोई भी परेशानी हो, तो वे सीधे प्रशासन से संपर्क करें।
निष्कर्ष
यह घटना शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है। छात्राओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को रोकने और उन्हें सुरक्षित वातावरण देने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन यह भी जरूरी है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और छात्राओं को सुरक्षित माहौल मिले।