मध्यप्रदेश में धरती आबा अभियान
मध्यप्रदेश में धरती आबा अभियान


भाग-2
मध्यप्रदेश में धरती आबा अभियान
सरकार ने आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, विशेष रूप से आय सृजन और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (प्रधानमंत्री जनमन योजना) अन्तर्गत जनजातीय बहुल जिलों में अब तक 11 हजार 826 घरों को रोशन किया गया है।योजना में ग्वालियर, विदिशा, अशोकनगर, श्योपुर, दतिया, गुना, शिवपुरी, रायसेन, भिण्ड, अनूपपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, मंडला, नरसिंहपुर, शहडोल, सीधी, कटनी, जबलपुर, उमरिया और सिंगरौली जिले शामिल हैं। इस योजना में जनजातीय बहुल गावों एवं मजरा-टोलों को ऊर्जीकृत किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश के 19 जिलों में जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार तैयार करने की योजना है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस दिशा में त्वरित एवं प्रगतिशील कदम उठाते हुए केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव को वित्त वर्ष 2024-25 में प्रदेश के 19 जिलों में एक-एक जनजातीय हाटबाजार स्थापित करने का अधिकृत प्रस्ताव भेज दिया है। प्रस्ताव के अनुसार 19 जिलों में यह टीएमएमसी एक-एक करोड़ रूपये लागत से लगभग 2000 स्क्वायर मीटर लैंड एरिया में बनाये जायेंगे, जिसका बिल्ट-अप लैंड एरिया करीब 367.80 स्क्वायर मीटर होगा।
यह राज्य सरकार के जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित किये जायेंगे। हाट बाजार में जनजातियों की पुरातन कला, संस्कृति के प्रतीक, शिल्पकारी, चित्रकारी, खिलौने, मिट्टी व बांस से निर्मित उत्पाद आदि का विक्रय भी किया जायेगा। इससे जनजातीय समुदाय को आजीविका के नये साधन मुहैया होंगे और इन्हें अतिरिक्त आय उपार्जन भी हो सकेगा। जहां जनजातियों द्वारा एकत्रित की जाने वाली लघु वनोपजों व गैर लघु वनोपजों का एक ही छत के नीचे प्रदर्शन, इनकी गुणवत्ता संवर्धन एवं इन वनोपजों के विक्रय के लिये जनजातीय बंधुओं को स्थायी प्लेटफार्म उपलब्ध कराना है। इससे जनजातियों की आजीविका में तेजी से सुधार के साथ इन्हें अपने स्व-निर्मित उत्पादों के प्रमोशन के लिये स्थानीय स्तर पर आऊटलेट की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) में विशेष रूप से पिछड़े एवं कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सर्वांगीण विकास के लिये भी मध्यप्रदेश सरकार अत्यंत संवेदनशीलता से कार्य कर रही है। पीएम जन-मन में इन विशेष पिछड़ी जनजाति बहुल क्षेत्रों में बहुउद्देश्यीय केन्द्र, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सड़क, समग्र शिक्षा एवं विद्युतीकरण से जुडे कार्य कराये जा रहे हैं। सरकार ने जारी साल के बजट में इन कामों के लिये 1,607 करोड़ रूपये दिये हैं।
केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति द्वारा वित्त पोषित 63 एकलव्य आवासीय विद्यालय मध्यप्रदेश में संचालित हैं। इन विद्यालयों में लगभग 25 हजार से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत होकर अपनी सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं खेलकूद की विभिन्न विधाओं में अपनी प्रतिभाओं एवं क्षमताओं को निखार रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा भी इन विद्यार्थियों के कौशल संवर्धन एवं दक्षता उन्नयन के लिये निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति द्वारा हर साल राष्ट्र स्तरीय सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन देश के विभिन्न राज्यों में किया जाता है। इसी अनुक्रम में विद्यालय स्तर, जिला स्तर एवं जोन स्तर की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होने वाले प्रतिभागियों को 4 जोन में वर्गीकृत किया गया है। प्रतियोगिता में नर्मदापुरम् जोन के 80 प्रतिभागी, इंदौर जोन के 77 प्रतिभागी, शहडोल जोन के 77 प्रतिभागी एवं जबलपुर जोन के 78 प्रतिभागी, इस प्रकार कुल 312 प्रतिभागी सम्मिलित हुए। इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का अवसर मिलेगा।
जनजातीयों के लिए संचालित सावधि ऋण योजना, व्यावसायिक इकाइयों के लिए ऋण प्रदान करती है। इस योजना के तहत व्यावसायिक इकाइयों को 5 से 10 वर्षों की पुनर्भुगतान अवधि के साथ इकाई लागत का 90 प्रतिशत तक आसान ऋण प्रदान किया जाता है। आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना (एएमएसवाई) आदिवासी महिलाओं के लिए बनाई गई है, जो केवल 4 प्रतिशत ब्याज पर ₹2 लाख तक का रियायती ऋण प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, माइक्रो क्रेडिट योजना प्रति एसएचजी को ₹5 लाख तक के ऋण की पेशकश करके आदिवासी स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का समर्थन करती है। आदिवासी शिक्षा ऋण योजना (एएसआरवाई) आदिवासी छात्रों को आसान ऋण प्रदान करती है, जिससे उन्हें अपनी पढ़ाई के दौरान ब्याज सब्सिडी के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलती है। इन योजनाओं का उद्देश्य उद्यमिता, शिक्षा और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करके आदिवासी आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
पेसा एक्ट में मध्यप्रदेश में पेसा नियम, नवम्बर 2022 से लागू हैं। यह नियम प्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5 हजार 133 ग्राम पंचायतों के अधीन 11 हजार 596 गॉवों में लागू है। इन नियमों में प्राप्त अधिकारों का उपयोग जनजातीय वर्ग के हितों के लिये अत्यंत प्रभावशाली साबित हो रहा है। पेसा से जनजातीय वर्ग अपनी क्षेत्रीय परम्पराओं, अपनी संस्कृति और जरूरतों के मुताबिक फैसले लेकर विकास की राह में आगे बढ़ सकेंगे। पेसा नियमों के क्रियान्वयन से जनजातीय समुदाय के एक करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हो रहा है।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विशेष रूप से पिछड़े एवं कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) आहार अनुदान योजना में इन जनजातीय परिवारों की महिला मुखिया को 1,500 रूपये प्रतिमाह पोषण आहार अनुदान राशि दी जाती है। इसके लिये सरकार ने बजट 2024-25 में 450 करोड़ रूपये आवंटित किये हैं। बैगा, भारिया एवं सहरिया जनजातीय परिवारों के समग्र विकास के लिये मध्यप्रदेश सरकार 2024-25 में 100 करोड़ रूपये अतिरिक्त व्यय करेगी। पीवीटीजी क्षेत्रों में 217 नये आंगनवाड़ी भवन बनाये जा रहे हैं। इसके लिये बजट में 150 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अन्तर्गत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने सिकल सेल रोग (एससीडी) सहित हीमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्यों को एक व्यापक दिशानिर्देश जारी किये गए हैं। आदिवासी आबादी के बीच प्रचलित आनुवंशिक रक्त विकार एससीडी के गंभीर प्रभाव को पहचानते हुए, सरकार ने इसके लगभग पूर्ण उन्मूलन की दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं। इस उद्देश्य से, प्रधानमंत्री द्वारा 01 जुलाई, 2023 को मध्य प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू किया गया था। यह मिशन सभी एससीडी रोगियों को सस्ती और सुलभ देखभाल प्रदान करने, उपचार की गुणवत्ता में सुधार करने और जागरूकता अभियान, सार्वभौमिक स्क्रीनिंग और परामर्श सेवाओं के माध्यम से बीमारी की व्यापकता को कम करने पर केंद्रित है। यह केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के बीच सहयोग पर जोर देता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबसे कमजोर आदिवासी आबादी को इन प्रयासों से लाभ मिले।
एससीडी पहल के अलावा, ‘मिशन इंद्रधनुष’ जैसी अन्य स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं का लक्ष्य आदिवासी समुदायों पर विशेष ध्यान देने के साथ दो साल तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना है। इस मिशन का विस्तार मुफ्त कोविड-19 टीके उपलब्ध कराने के लिए भी किया गया है, जिससे आदिवासी आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित हो सके।
एक अन्य उल्लेखनीय कार्यक्रम ‘निक्षय मित्र’ पहल है, जो तपेदिक (टीबी) रोगियों को अतिरिक्त नैदानिक, पोषण और व्यावसायिक सहायता प्रदान करता है, जिनमें से कई आदिवासी समुदायों से संबंधित हैं। इस पहल का उद्देश्य कमजोर आबादी के समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करके टीबी से प्रभावी ढंग से निपटना है। इसके अलावा, जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को सहायता (टीआरआई) योजना, टीआरआई को अनुसंधान, दस्तावेज़ीकरण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण गतिविधियों के लिए सशक्त बनाने का प्रयास करती है। ये संस्थान ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करके जनजातीय विकास में योगदान देते हैं।
जनजातीय समाज के आर्थिक सशक्तिकरण, सर्वसमावेशी विकास और इस समुदाय के समग्र उत्थान के लिये अभियान में 4 प्रमुख लक्ष्य तय किये गये हैं। इसमें सभी पात्र जनजातीय परिवारों के गांवों के बुनियादी बांचे में सुधार किया जायेगा। कौशल विकास, उद्यमिता संवर्द्धन और स्वरोजगार के जरिये जनजातीय समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जायेगा। जनजातीय वर्ग के बच्चों की अच्छी शिक्षा तक पहुंच का लोकव्यापीकरण तथा स्वस्थ जीवन और सम्मानजनक वृद्धावस्था यापन के लिये समुचित व्यवस्था करना भी इस अभियान के लक्ष्यों में शामिल है। -डॉ. मोहन यादव, माननीय मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश
जनजातीय विकास के लिए ‘धरती आबा अभियान’ में तेजी से कार्य किए जा रहे हैं। अभियान से 93 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। मध्यप्रदेश सरकार ने जनजातीय समुदायों के विकास के लिए ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ को प्राथमिकता दी है। इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश की जनजातीय आबादी को शासकीय सेवाओं और सुविधाओं का लाभ पहुंचाना है। प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी पात्र जनजातीय परिवार इस अभियान के लाभ से वंचित न रहे।
– डॉ. कुंवर विजय शाह, जनजातीय कार्य मंत्री
