गेहूं की नरवाई में लग रही आग, प्रशासन बेखबर!
जिला कलेक्टर के आदेश सिर्फ कागजों तक सीमित, किसानों को हो रही भारी परेशानी

संवाददाता अवधेश चौकसे
सालीचौका, नरसिंहपुर: गेहूं कटाई के बाद जिले में नरवाई जलाने के बढ़ते मामलों ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला कलेक्टर द्वारा स्पष्ट आदेश दिए गए थे कि कोई भी किसान नरवाई में आग नहीं लगाएगा, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। क्षेत्र के कई गांवों में धड़ल्ले से नरवाई में आग लगाई जा रही है, जिससे मृदा की उर्वरता नष्ट हो रही है और गोवंश के चारे की समस्या बढ़ रही है।
भूसा माफिया हुए सक्रिय, किसानों की मजबूरी का फायदा
भूसा बनाने वाली मशीनों के दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। किसान प्रशासन का डर दिखाकर भूसे की कीमत 2400 रुपये प्रति डब्बा तक वसूल रहे हैं, जो छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों की पहुंच से बाहर है। कई किसान मजबूरी में नरवाई जलाने को विवश हो रहे हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।
सरकारी गौशालाओं में चारे का संकट, गोवंश हो रहे भूखे
सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर गौशालाएं खोली जा रही हैं, लेकिन गोवंश के लिए भूसे और चारे का उचित प्रबंधन नहीं हो पा रहा है। किसान अपनी फसल तो ले जा रहे हैं, लेकिन गौमाता के चारे की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे बड़ी संख्या में गोवंश भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है।
प्रशासन की चेतावनी, फिर भी आदेशों की अनदेखी
प्रशासन द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि यदि कोई किसान नरवाई जलाते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी और प्रति एकड़ 5000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। यह आदेश 5 मई 2025 तक लागू रहेगा।
किसानों से अपील: गौशालाओं को दें भूसा
किसानों से निवेदन किया गया है कि यदि उनके गांव में किसी को भूसे की आवश्यकता नहीं है, तो गौशाला प्रबंधन या गो ग्रास प्रबंधन समिति को भूसा दान करें। इससे गौमाता को चारे की समस्या से बचाया जा सकता है और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दें और नियमों को सिर्फ कागजों तक सीमित रखने के बजाय जमीनी स्तर पर लागू करें। वहीं, किसानों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी ताकि पर्यावरण और गोवंश दोनों की सुरक्षा हो सके।