गौशाला भूमि पर दबंगों का कब्जा, ग्रामीणों ने एसडीएम से लगाई गुहार

नर्मदापुरम, बनखेड़ी: जिले की तहसील बनखेड़ी के ग्राम नयागांव में गौवंश संरक्षण के लिए आरक्षित भूमि पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि कुछ दबंगों ने इस भूमि पर खेती शुरू कर दी है, जिससे गौशाला संचालन में बाधा आ रही है। इस संबंध में ग्रामीणों ने पिपरिया की अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) अनिशा श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपकर अतिक्रमण हटाने की मांग की है।
गौशाला की 12 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा
ग्रामीणों ने ज्ञापन में बताया कि ग्राम नयागांव में पिछले पाँच वर्षों से गौशाला संचालित है। यह गौशाला पटवारी हल्का नंबर 48 के खसरा नंबर 461 सहित अन्य खसरों में दर्ज है। इस भूमि का कुल रकवा 12 एकड़ है, जिसे गौवंश के संरक्षण और उनकी संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से आरक्षित किया गया था। लेकिन अब डालचंद साहू और सुनील साहू नामक व्यक्तियों ने इस भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर खेती शुरू कर दी है।
गौशाला संचालन में आ रही परेशानी
गौशाला की भूमि पर अवैध कब्जे के कारण वहाँ गौवंश को रखने और उनके चारे-पानी की व्यवस्था करने में दिक्कतें आ रही हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि यदि भूमि को सुरक्षित कर फेसिंग की जाए, तो इसे और बेहतर तरीके से गौशाला के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
पहले भी की गई शिकायत, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि इस मामले को लेकर पहले भी कई बार प्रशासन को शिकायतें दी गईं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे स्थानीय लोगों में प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
प्रशासन का बयान – जांच के बाद होगी कार्रवाई
जब इस मामले को लेकर बनखेड़ी के नायब तहसीलदार रामसिपाही मरावी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है। हल्का पटवारी को मौके पर भेज दिया गया है, जो स्थिति का जायजा लेकर रिपोर्ट सौंपेगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों की मांग – जल्द हो अतिक्रमण मुक्त
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस भूमि से अतिक्रमण हटाकर इसे पुनः गौशाला के रूप में सुरक्षित किया जाए। साथ ही, भूमि की चारदीवारी कराई जाए ताकि भविष्य में इस पर कोई अवैध कब्जा न कर सके।
अब देखना होगा कि पिपरिया एसडीएम अनिशा श्रीवास्तव और बनखेड़ी तहसीलदार अलका एक्का इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। क्या प्रशासन जल्द कार्रवाई करेगा या फिर ग्रामीणों को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा?