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गाडरवारा का जंक्शन बनने का सपना टूटा: गाडरवारा-बुधनी रेल परियोजना रद्द, जनता बोली—हक के लिए लड़ेंगे

गाडरवारा: रेलवे मंत्रालय ने गाडरवारा-बुधनी रेल लाइन परियोजना को स्थगित कर दिया है, जिससे गाडरवारा को जंक्शन बनने का सपना टूट गया। इस फैसले से क्षेत्र के लोगों में नाराजगी बढ़ रही है और वे अब आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।

इंदौर-बुधनी रेल परियोजना को मिली प्राथमिकता

लोकसभा में सांसद दर्शन सिंह चौधरी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इंदौर (मांगलियागांव) से बुधनी तक नई रेल लाइन परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इस परियोजना के लिए 3261.82 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से मार्च 2024 तक 948.37 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 1107.25 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।

गाडरवारा-बुधनी रेल लाइन को क्यों किया गया रद्द?

रेल मंत्री ने स्पष्ट किया कि गाडरवारा-बुधनी के बीच (137 किमी) नई रेल लाइन परियोजना को अब आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। रेलवे के मुताबिक, गाडरवारा और बुधनी पहले से इटारसी के जरिए रेलवे नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और इस नए मार्ग से दूरी में कोई विशेष कमी नहीं आएगी। इसलिए रेलवे ने इस परियोजना को बंद कर दिया और इंदौर-बुधनी रेल परियोजना को प्राथमिकता देने का फैसला लिया।

गाडरवारा में जंक्शन बनने का सपना टूटा

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर 2016-17 में जबलपुर-गाडरवारा-बुधनी-इंदौर रेल परियोजना को 4200 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृति मिली थी। इससे उम्मीद थी कि गाडरवारा में एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन बनेगा, जिससे सांईखेड़ा, उदयपुरा और रायसेन क्षेत्र को भी लाभ मिलता। लेकिन, पिछले 8-9 वर्षों में इस परियोजना के लिए कोई बजट स्वीकृत नहीं हुआ, जबकि इंदौर-बुधनी रेल परियोजना को लगातार वित्तीय सहायता मिलती रही।

स्थानीय लोगों में नाराजगी, आंदोलन की तैयारी

रेलवे के इस फैसले से गाडरवारा, उदयपुरा, रायसेन और आसपास के क्षेत्रों के लोग नाराज हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के कारण यह महत्वपूर्ण परियोजना रद्द हो गई। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि समय रहते आंदोलन किया जाए तो यह फैसला बदला जा सकता है।

क्या हो सकता है आगे?

गाडरवारा-बुधनी रेल परियोजना को पुनः शुरू कराने के लिए व्यापारिक, सामाजिक, राजनीतिक और मीडिया संगठनों को एकजुट होना होगा। स्थानीय लोगों ने इस मुद्दे को लेकर बड़े स्तर पर आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है और वे जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन कर सकते हैं।

निष्कर्ष

रेल मंत्रालय के इस फैसले ने गाडरवारा क्षेत्र के विकास की संभावनाओं को झटका दिया है। यदि स्थानीय लोग एकजुट होकर अपनी आवाज उठाते हैं, तो यह संभव है कि भविष्य में इस परियोजना पर दोबारा विचार किया जाए। अब यह देखना होगा कि जनप्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।

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