मन का दान करें – दान एकादशी पर आचार्य ब्रजोत्सवजी का उपदेश
गाडरवारा। नगर में वल्लभकुल पुष्टिमार्गीय देवस्थान श्री गौर्वधन नाथजी जी की हवेली मंदिर में दो दिनों से सम्प्रदाय सम्मत विभिन्न धार्मिक महत्व के आयोजन आचार्य पूज्यपाद श्री श्री ब्रजोत्सव जी महाराज “बाबा श्री” इंदौर के मार्गदर्शन और सानिध्य में सम्पन्न हुए जिसमें प्रमुख रूप से प्रभु विग्रह के पंचामृत स्नान, दानगढ-मानगढ-छाक मनोरथ परम्परा अनुसार उत्सव मनाया गया। आचार्य श्री के अलावा सभी धार्मिक पूजा अर्चना मनोरथ मे हवेली के प्रधान मुखिया अर्चक श्री श्रीनाथ जी भट्ट, गिरिराज जी, मोहनजी भट्ट सहभागी रहे ।
वहीं दूसरी ओर दान एकादशी वामन व्दादशी के मनोरथ आयोजित किए गए। इस एकादशी पर वर्ष में एक बार गुरु हाथो में दान भेंट अर्पित करने की परम्परा है और वैष्णव जन इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं ।
वचनामृत श्रृंखला में आचार्य बाबा श्री ने उपस्थित वैष्णवों को बताया कि “दान की महत्ता पुष्टि मार्ग में एक उत्सव के रूप में प्रतिष्ठित है।उन्होंने कहा कि भक्त का मन प्रभु सेवा में निहित होना चाहिए किन्तु भक्त को सांसारिक विषयों से निर्लिप्त होने की स्थिति में मन का दान संभव है । कहा कि मन को सांसारिक व्याधियों – मायामोहमय नहीं वरन “मोहनमय” बनाना चाहिए, इससे वैष्णव जनो को प्रभु अनुभूति, अहसास का अनुभव सहजता से संभव हो सकता है । आगे आपने राजा बलि के प्रसंगों पर प्रकाश डाला। सभी कार्यक्रम बहुत ही सुंदर और मनमोहक रहे जिसमें बाल, किशोर, युवा, प्रौढ और वृध्द वैष्णव जनो ने शामिल होकर अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का संवर्धन किया गया । कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए वैष्णवों की सक्रियता को आचार्य गुरु ने सराहा ।