गाँव गाँव कोडवर्ड में बिकती गांजे की पुड़िया! किराना दुकानों पर धूनी के नाम पर और सब्जी की दुकान पर तीखी मिर्च के नाम से
रिपोर्टर- अवधेश चौकसे
सालीचौका नरसिंहपुरः क्षेत्र के तमाम ग्रामों में लेकर अब एक नये रुप में कारोबार शुरू हो गया है जिसे गांजा या माल कहा जाता है। आपको बता दें कि लगातार क्षेत्र में गांजे का कारोबार बढ़ रहा है आपको आश्चर्य होगा कि सालीचौका सांईखेड़ा, गाडरवारा क्षेत्र के अंतर्गत तमाम छोटे-छोटे गांव में आप कुछ खास किराना की दुकान पर आप जैसे ही जाकर बोलेंगे कि धूनी की पुड़िया दे दीजिए तो सामने वाला दुकानदार आपको कागज में 20/ 50/ और 100/ रुपये के रेट में गांजा आपके हाथ में थमा देगा। ऐसे ही अगर आप उनकी सब्जी की दुकान पर जो गांजा बेचता है उसने सब्जी फल की दुकान खोल रखी है जो गांजा बेचता है उसने गांव में किराना की दुकान खोल रखी है ऐसे लोग गांजा समझ जाते हैं बेच रहे हैं आपको बता दें देंगे। क्योकि गाडरवारा क्षेत्र के आसपास के ग्रामों में जिनमें लगातार गांजे की बिक्री जोरों पर है 15 साल से लेकर 65 साल तक के लोग गंजे की पुड़िया खरीद कर कागज नुमा चिलम गो गो नाम से आती है उसमें भरकर पी रहे हैं। कुछ लोग बीड़ी को खोलकर उसका तम्बाखू निकालकर उसमें भी गांजा भरकर पी रहे हैं। कुछ चाय नाश्ते की दुकानों पर भी गंजे की व्यवस्था देखी जा सकती है। ऐसी चाय की दुकानों पर जरूरत से अधिक मीठी चाय मिलती हैं, बताने में आ रहा है कि उक्त गांजा दूसरे राज्यों से लेकर अन्य जिलों से भी नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा बॉर्डर में प्रवेश करता है। जैसे रायसेन जिले का गांजा उदयपुरा होते हुए सांइखेड़ा से गाडरवारा,सालीचौका और अन्य ग्रामों में आता है।
वैसे ही होशंगाबाद तरफ से गांजा बनखेड़ी से पनागर, पोडार तिरहा, जुन्हैटा,कामती मुर्गीढ़ाना, से होते हुए अन्य ग्रामों में आता है। इस तरह छिंदवाड़ा जिले से जामगांव, गणेशनगर ,बारहाबड़ा रहमा होते हुए आता है। और एक बात तमाम तरह की सूचनाओं चर्चाओं दौरान गांजे के कुछ पीने वालों ने बताया कि गांव गांव गांजा कोडवार्ड में बिक रहा है जिस गाँव गांजा बिकता है उसका अपना कोडवर्ड होता है दुकानदार उस तरह बोलने पर ही पुड़िया देता है।
पुलिस प्रशासन किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं करता और करें भी तो कैसे आखिर किराना की दुकान,चाय नाश्ता की दुकान,सब्जी फल की दुकान आदि पर कार्य हो रहा है। इनके विक्रेता गांजा बेच रहे हैं कुछ तो झोलाछाप कतिथ साधु लोग भी गांजि बेच रहे हैं जो अपनी थैलिया या खलतियां जो वह टांगे रहते हैं उनमें गांजा रख कर पी पिला रहे और बेच रहे है। आखिर लोगों में इस तरह का कार्य क्यों करने का फितूर चढ है समझ के परें है कुछ लोगों ने गुप्त सूचनाओं के आधार पर बताया है कि अभी गांजे में भी कई किसानों ने अपनी ईमानदारी को गिरवी रखते हुए गन्ने के खेत में अंदर गांजा के पेड़ लगा रखे हैं और जब वह परिपक्व हो जाएंगे तो वह गन्ना के सीजन में बाहर से आने वाली लेबर को और स्थानीय स्तर पर उसे गांजे की बिक्री करेंगे। अब ऐसे में अगर गांव-गांव मुस्तैदी से कार्य हो तो ऐसा गांजा पकड़ में आ सकता है। लेकिन गांजा को भोले बम बम का प्रसाद बोलकर *भोले* को बदनाम करने वाले भोली भाली आम जनता और युवाओं में जो नशे का प्रचार कर रहे हैं वह बहुत घातक है इसलिए पुलिस प्रशासन को जल्द से जल्द इन गांजे के तस्करों विक्रय कर्ताओं पर थोड़ी नकेल कसी जानी चाहिए।। ताकि पुलिसकर्मियों को पुनः सम्मानित होने का मौका मिलेगा