डूब प्रभावितों का आंदोलन! किसान मजदूर महासंघ के नेतृत्व में पीड़ितों के अधिकारों को उठाएंगे
डूब प्रभावितों के आंदोलन में अपनी समस्या का आवेदन देते पीड़ित

डूब प्रभावितों का आंदोलन! किसान मजदूर महासंघ के नेतृत्व में पीड़ितों के अधिकारों को उठाएंगे
मध्यप्रदेश जबलपुर हरसूद इंदिरा सागर बांध परियोजना के पोड़ित विस्थापित परिवारों की जिम्मेदारों द्वारा 20 सालों से की जा ही अनदेखी का घड़ा भर गया है। अब मध्यपदेश किसान मजदूर महासंघ के नेतृत्व में प्रभावितों की लड़ाई एकसाथ जमीन और सुपीम कोर्ट में लड़ी जाएगी। इसके लिए विधिवत आंदोलन और न्यायालय की लड़ाई के लिए पहले बेहतर तैयारी की जाएगी। इसमें पुनर्वास स्थलों सहित अन्य गांवों में ग्राम इकाई का गठन किया जाएगा। साथ नर्मदा नदी पर निर्मित सरदार स्लोवा और ओकारेश्वर परियोजना बांध प्रभावितों को तुलना में इंदिरा सागर के लोगों को कम मुआवजा दिए जाने की संयुक्त याचिका लगाई
यह बात शनिवार को डूब पध्र्ववतों के वृहद जन आंदोलन के डिम दिवस 5 हजार से ज्यादा विस्थापितों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंप के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा (कक्काजी) ने हुंकार भरते हुए कसरी।उन्होंने कहा अचरज की बात है कि इतने वर्षों तक आप लोगों के साथ अन्याय होता रहा और राजनीतिक दल आंखें मूंदे देखते रहे। हमें लगा यहां कुछ संगठन प्रयास कर रहे हैं लेकिन अब आप लोग चिंता न करें। अन्य दो बांधों की तरह विशेष पैकेज, मुआवजा राशि ही
डूब प्रभावितों के आंदोलन में अपनी समस्या का आवेदन देते पीड़ित
नहीं उसका ब्याज भी संघर्ष करके वसूला जाएगा। इससे आंदोलन को आक्सीजन मिली। प्रभावितों को घनश्याम पटेल, महेंद्र अग्रवाल, विकास रेंगे, बहादुर सिंह ठकुर, मोहन सिंह रघुवंशी, गोपाल तोमर, तिलोक पटेल, रवि दत्त, काली घोड़ी आश्रम के संत पंकज मुनि, कामता प्रसाद केशरवानी, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जगदीश सांकले, सुजान सिंह राठौड़ ने भी संबोधित किया। हर गांव में 2-4 ठूंठ होते हैं, भ्रष्ट नेता, अधिकारी और व्यापारी इनके पोषक कक्काजी ने कहा- सरकार से अधिकार लेना आसान नहीं होता, क्योंकि सक्से पहले आपको अपनों से निपटना है। मक्लब हर गांव में 2-4 ठूंठ होते हैं जिनसे अधिकार की लड़ाई में अवरोध उत्पन होता है। भ्रष्ट नेता, अधिकारी और व्यापारी इनके पोषक
होते हैं। उन्होंने कहा यह बात हम
दावे से इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 52 साल की किसान सेवा यात्रा में 4-5 साल जेल में रहकर यही निचोड़ सामने आया है। देश व्यापी किसान आंदोलन में भी हमें इससे जूझना पड़ा। इसके लिए आंदोलन में अनुशासन बेहद अनिवार्य है। संगठन की शक्ति से सार्थक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा देश खाद्यान उत्पादन और सुरक्षा में बहुत आगे है। देश में कृषि के क्षेत्र से 110 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है लेकिन हमारी सरकारें किसान को 75 वर्षों में ऋण मुक्ति से निजात नहीं दिला पाई। किसान की कर्ज माफी नहीं ऋण मुक्ति चाहिए। क्योंकि माफी शब्द तो अपराधी के लिए उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा रामायण, बाइबिल, कुरान और गुरु ग्रंथ साहब की किताब में दो लाइन समान हैं- परहित सेवा औ उनकी सुरक्षा। यही सत्य भी है।
जमीन व न्यायालय में एक साथ करेंगे इंदिरा सागर के विस्थापितों की लड़ाई का शंखनाद : कक्काजी
दस्तावेजों का गहा बना, कक्काजी को सौंपा
आंदोलन के अंतिम दिवस बड़ी संख्या में विस्थापित परिवार अपने दस्तावेज लेकर पहुंचे। हर पुरुष और महिला सभी के हाथ में धारा 12, आधार कार्ड सहित अन्य कागज की फाइल रखी हुई थी। अंत में आंदोलन प्रमुखों और कार्यकर्ताओं ने सभी से दस्तावेज एकत्र किए। इनकी संख्या 4 हजार से ज्यादा हो गई। आखिर में दस्तावेजों का गडा बनाकर महिला रंजीता चौहान ने कक्काजी को सौंपते हुए कहा कि अब इंदिरा सागर बांध के विस्थापितों की उम्मीद आपसे ही है।
आगे क्या… गांव-गांव इकाई गठन, सब कोर
कमेटी बनेगी इंदिरा सागर परियोजना प्रभावितों के
वृहद जन आंदोलन के तीसरे और अंतिम दिवस कक्काजी ने आगे की रणनीति भी मौजूद विस्थापित परिवारों की सहमति से सुनिश्चित कर डाली। दिवाली पश्चात गांव-गांव ग्राम इकाई बनाई जाएगी। सब कोर कमेटी भी गठित की जाएगी। इन्हें संचालित करने के लिए कम से कम 7 लोगों की मुख्य संचालन समिति बनाई जाएगी। इस मौके पर सुरेंद्र खंडेलवाल, अनिल महेश्वरी, जितेंद्र सिंह ठाकुर, दिलीप पुरवेले, दौलत पटेल, मदन नायक, नगीन पटेल, सुभाष हाड़ा, वीरेंद्र पटेल मौजूद थे। संचालन अधिवक्ता डीएल बकोरिया ने किया