गाडरवारामध्य प्रदेशराज्य

“दो कुलों की उद्धारक होती हैं बेटियां” – केशव गिरी महाराज

साईंखेड़ा गाडरवारा (नरसिंहपुर): श्री दादा धूनी वाले की लीलास्थली साईंखेड़ा में 21 दिवसीय अनुष्ठान के अंतर्गत श्री शिव महापुराण कथा के अष्टम दिवस पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा। श्री राम दरबार मंदिर, मकरोनिया सागर के महंत एवं ब्रह्मलीन संत पंडित श्री देव प्रभाकर शास्त्री ‘दद्दा जी’ महाराज के कृपा पात्र गृहस्थ संत केशव गिरी महाराज ने कथा वाचन किया और समाज में बेटियों के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए।

बेटियां संस्कार और परिवार की धरोहर

कथा के दौरान केशव गिरी महाराज ने कहा कि बेटियां दो कुलों की उद्धारक होती हैं, इसलिए माता-पिता को उन्हें अच्छे संस्कार अवश्य देने चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि कोई पुरुष शिक्षित होता है तो केवल एक व्यक्ति शिक्षित होता है, लेकिन यदि एक बेटी शिक्षित होती है, तो पूरा परिवार शिक्षित हो जाता है।”

उन्होंने सनातन संस्कृति और बच्चों को धर्म से जोड़ने के महत्व पर भी जोर दिया। उनका मानना था कि बेटियों को शिक्षा और संस्कार दोनों देना चाहिए ताकि वे समाज और परिवार का मान-सम्मान बनाए रखें।

शिव विवाह की पावन कथा

महाराज ने भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह की कथा सुनाई और समझाया कि शिव विवाह केवल एक पौराणिक प्रसंग नहीं, बल्कि गूढ़ आध्यात्मिक संदेश है। उन्होंने कहा कि “आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है।”

उन्होंने बताया कि भगवान शिव ने गृहस्थ जीवन को अपनाकर यह सिखाया कि परिवार और आध्यात्मिकता का समन्वय संभव है। शिव परिवार के प्रतीकों के माध्यम से उन्होंने यह समझाया कि विपरीत विचारधाराओं में संतुलन बनाए रखना ही शिवत्व का सार है।

विशेष श्रृंगार और महाआरती

सायंकालीन बेला में पूज्य संत श्री शिवानंद जी महाराज के सान्निध्य में दादा धूनी वाले का विशेष श्रृंगार किया गया। गाजे-बाजे के साथ भव्य महाआरती संपन्न हुई, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

विशाल हवन और औषधियों का प्रयोग

आरती के उपरांत अखंड धूनी माई में विशेष औषधि युक्त हवन सामग्री से हवन किया गया। इस दौरान आम, पपीता, अनार, केला, सेव, तरबूज, गन्ना, गाय का शुद्ध घृत, शक्कर, नारियल, लौंग, इलायची, कपूर आदि से युक्त हवन सामग्री समर्पित की गई।

भक्तगण झूमे भजनों पर

शिव विवाह के प्रसंग में भजन संध्या का आयोजन भी किया गया। “राजा हिमाचल के दामाद भानेजू”, “हम जाने रे कछु नोने से हुईये”, जैसे भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे।

आध्यात्मिक संदेश

इस अनुष्ठान ने धार्मिक श्रद्धालुओं के बीच शिव महापुराण के गूढ़ रहस्यों और जीवनशैली में उनके महत्व को उजागर किया। संत केशव गिरी महाराज के प्रवचनों ने समाज में बेटियों की शिक्षा और संस्कारों की अनिवार्यता को पुनः स्थापित करने का कार्य किया।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और भव्य आयोजन ने इस धार्मिक कार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया।

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