गाडरवारामध्य प्रदेशराज्य

चैत्र नवरात्रि पर खेड़ापति माता मंदिर से निकली भव्य विसर्जन यात्रा, नगर में गूंजे जयकारे, दीपों से जगमगाया हर द्वार

गाडरवारा। चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर गाडरवारा स्थित खेड़ापति माता मंदिर में परंपरा अनुसार इस वर्ष भी जवारे एवं माताजी की मूर्ति की स्थापना कर पूर्णिमा की रात को आरती के पश्चात भव्य शोभायात्रा एवं विसर्जन कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह आयोजन नगरवासियों की गहरी आस्था, श्रद्धा और सामाजिक सहभागिता का प्रतीक बन गया।

दरबार से निकली मां की पालकी यात्रा

रात्रि 11 बजे, खेड़ापति दरबार से माता रानी की मूर्ति को  पालकी विराजमान कर और माता बहनों ने जवारों के कलश को अपने सिर पर रखकर  साथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। विशेष बात यह रही कि पूरी यात्रा के दौरान भक्तों ने माता रानी को अपने कंधों पर उठाकर चलाया, जिससे पूरे वातावरण में भक्ति और उत्साह की लहर दौड़ गई।

रात्रि की भक्ति में डूबा रहा नगर

यात्रा जैसे-जैसे नगर के मोहल्लों से गुजरी, वैसे-वैसे श्रद्धालुओं का उत्साह और श्रद्धा बढ़ती गई। नदी मोहल्ला, झोरे मोहल्ला होते हुए यात्रा जब डागा परिवार के निवास स्थान पहुँची, तब वहाँ विशेष पूजन-अर्चन कर माता रानी का स्वागत किया गया। कुछ देर के लिए यात्रा यहाँ विश्राम पर रही, जहाँ महाकाली का जीवंत नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा।

पूजन-अर्चन और दीपों से हुआ भव्य स्वागत

इसके बाद यात्रा चावड़ी, मुख्य बाजार और चौकी मोहल्ला होते हुए आगे बढ़ी। नगरवासियों ने हर स्थान पर माता रानी का भव्य पूजन किया। रास्ते भर घर-घर दीप जलाकर, रंगोली सजाकर और भजन-कीर्तन कर माता रानी की आगवानी की गई। नगर का दृश्य ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो दीपावली की रात हो।

हर द्वार बना श्रद्धा का केन्द्र

यात्रा के दौरान देखा गया कि जैसे ही माताजी अपने मंदिर से बाहर निकलीं, हर घर माता का मंदिर बन गया। श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ घरों से निकलकर माता रानी की आरती की, पुष्प अर्पित किए और पालकी यात्रा में शामिल हुए।

सेवा और सत्कार से भरा माहौल

श्रद्धालुओं के लिए नगर के विभिन्न स्थानों पर शीतल जल, शरबत और जलपान की व्यवस्था स्थानीय निवासियों द्वारा की गई थी। इस सेवा भाव ने नवरात्रि की आस्था को और अधिक उजागर किया। महिला, पुरुष और बच्चे पूरी रात यात्रा में सहभागी रहे, और माता की भक्ति में लीन रहे।

सुबह तक चलता रहा भजन-पूजन

प्रातः 5 बजे के लगभग, यात्रा का समापन भजन-कीर्तन और पूजन के साथ छिड़ाव घाट पर हुआ। इसके बाद विधिपूर्वक जवारे और माता जी आरती करके विसर्जन किया गया। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु माता रानी की पालकी के साथ-साथ चलते रहे, और भक्ति गीतों से माहौल को भक्तिमय बनाए रखा।

 

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