भगवान भक्त के भाव के अनुसार प्रकट होते हैं: महाराज रजत तिवारी

संवाददाता सम्राट अंकित कुशवाहा
मंडीदीप। श्रीमद्भागवत कथा के शष्ठम दिवस पर कथा वाचक महाराज रजत तिवारी जी ने श्रद्धालुओं को रसपान कराते हुए बताया कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम के वशीभूत होकर उसी रूप में प्रकट होते हैं, जिस रूप में भक्त उन्हें देखना चाहता है।
महाराज श्री ने कथा में वर्णन किया कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के प्रेम को देखकर अपने दिव्य स्वरूप का दर्शन कराया। उन्होंने बताया कि जरा संध ने भगवान पर सत्रह बार आक्रमण किया, फिर भी भगवान ने उसे बार-बार जीवनदान दिया।
कथा में भगवान द्वारा द्वारका पुरी के सुंदर निर्माण, रुक्मिणी जी से विवाह और 16,108 विवाहों का दिव्य वर्णन प्रस्तुत किया गया, जिसे सुनकर भक्त भावविभोर हो उठे।
कथा का समापन दिवस 9 अप्रैल को होगा, जिसमें कथा का प्रारंभ दोपहर 1 बजे से होगा। कथा समापन के उपलक्ष्य में 9 अप्रैल को विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया है।