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वेनेजुएला में राष्ट्रपति की हत्या की साजिश में 6 गिरफ्तार:अमेरिकी नेवी कमांडो शामिल; सरकार का आरोप- CIA ने रची साजिश, 400 US राइफल जब्त

दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की हत्या की साजिश के आरोप में US नेवी सील कमांडो समेत 6 विदेशियों को गिरफ्तार किया है। CNN के मुताबिक, वेनेजुएला के गृह मंत्री डियोसडाडो कबेलो ने दावा किया है कि यह साजिश अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने रची थी। राष्ट्रपति मादुरो ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि US कमांडो के अलावा अमेरिका के 2 और नागरिक, स्पेन के 2 लोगों और एक चेक रिपब्लिक के शख्स को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा अधिकारियों ने 400 अमेरिकी राइफल भी जब्त की हैं। वेनेजुएला सरकार बोली- कई बड़े राजनेताओं को मारने की साजिश थी
वेनेजुएला के गृह मंत्री कबेलो ने कहा कि CIA के साथ साजिश में स्पेन का नेशनल इंटेलिजेंस सेंटर भी शामिल था। उनका मकसद राष्ट्रपति मादुरो समेत उप-राष्ट्रपति और कई दूसरे राजनेताओं की हत्या करना था। वहीं अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने वेनेजुएला के आरोपों को खारिज कर दिया। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वे अमेरिकी नागरिकों की गिरफ्तारी से जुड़ी जरूरी जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। स्पेन के विदेश मंत्रालय ने भी वेनेजुएला से गिरफ्तार हुए नागरिकों से जुड़ी जानकारी मांगी है। वेनेजुएला ने यह आरोप तब लगाया है जब जुलाई में देश में हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को कई दक्षिण अमेरिकी देशों और US ने खारिज कर दिया। वेनेजुएला के विपक्ष ने भी मादुरो पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है। वेनेजुएला में मादुरो की जीत का विरोध, पोस्टर फाड़े गए
दरअसल, 28 जुलाई को वेनेजुएला में चुनाव हुए थे। चुनाव से पहले हुए सर्वे में विपक्षी उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज की आसान जीत बताई गई थी। हालांकि, चुनाव परिणाम इसके उलट आए। निकोलस मादुरो चुनाव जीत गए। इसके बाद विपक्ष ने दावा किया कि चुनाव आयोग ने रिजल्ट में गड़बड़ी की है। मादुरो की जीत के बाद नाराज लोगों सड़कों पर उतर आए थे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के बैनर फाड़ डाले थे। उन्होंने मादुरो से पहले राष्ट्रपति रहे ह्यूगो शावेज के कई पुतले गिरा दिए थे। मादुरो पिछले 11 साल से सत्ता में हैं। हालिया चुनाव में जीत के बाद मादुरो अब 2025 से 2030 तक सत्ता में बने रहेंगे। अमेरिका ने वेनेजुएला पर कई प्रतिबंध लगाए
वेनेजुएला और अमेरिका के बीच कई दशकों से राजनीतिक मतभेद रहे हैं। वेनेजुएला, अमेरिकी की पूंजीवादी और विदेश नीतियों को लेकर आलोचना करता है तो वहीं, अमेरिका, वेनेजुएला में मानवाधिकार के उल्लंघन पर नाराजगी जताता रहा है। लगभग 100 साल पहले वेनेज़ुएला में तेल भंडारों की खोज हुई थी। तेल की खोज होने के 20 साल बाद ही वेनेजुएला दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देशों में से एक बन गया। उसे लैटिन अमेरिका का सऊदी अरब कहा जाने लगा। 1950 के दशक में वेनेजुएला दुनिया का चौथा सबसे धनी देश था। लेकिन आज इस देश की हालत खराब हो चुकी है। देश की 75 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है। BBC के मुताबिक पिछले 7 साल में करीब 75 लाख लोग देश छोड़कर चले गए हैं। दरअसल, वेनेजुएला लगभग पूरी तरह से तेल पर निर्भर था। 80 के दशक में तेल की कीमतें गिरने लगीं। कीमतों में गिरावट ने वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था को भी नीचे ला दिया। सरकारी नीतियों की वजह से वेनेजुएला अपना कर्ज चुकाने में फेल होने लगा। बाद में तेल के दाम बढ़े भी तो वह इसका फायदा नहीं उठा सका। 2015 में अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से वेनेजुएला की हालत और खराब हो गई है।

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