सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में मादा तेंदुआ की मौत: वन विभाग की लापरवाही उजागर

संवाददाता राकेश पटेल इक्का सोहागपुर
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, मध्य प्रदेश – वन्यजीव संरक्षण के लिए समर्पित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में एक मादा तेंदुआ की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना में वन विभाग की संभावित लापरवाही भी उजागर हुई है। अधिकारियों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में अवैध शिकार के कोई प्रमाण नहीं मिले, लेकिन मौत के कारणों पर अब भी संदेह बना हुआ है।
प्राकृतिक मौत या सुरक्षा में चूक?
वन विभाग के अनुसार, मृत मादा तेंदुआ के शरीर पर अन्य वन्यजीवों के दांतों के निशान पाए गए हैं। इससे संकेत मिलता है कि तेंदुआ की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई होगी। हालांकि, सवाल यह उठता है कि वन विभाग ने इस मादा तेंदुआ की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए थे? क्या क्षेत्र में गश्त और निगरानी पर्याप्त थी?
पोस्टमार्टम और शवदाह में भी लापरवाही के आरोप
मादा तेंदुआ के शव का पोस्टमार्टम वन्यजीव विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया, लेकिन वन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। पोस्टमार्टम के बाद मध्यप्रदेश वन विभाग के निर्देशानुसार शवदाह (भस्मीकरण) की प्रक्रिया पूरी की गई, लेकिन इसमें भी प्रोटोकॉल की अनदेखी की आशंका जताई जा रही है।
वन विभाग की जांच पर उठ रहे सवाल
इस मामले में वन अपराध प्रकरण दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी गई है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह घटना केवल प्राकृतिक कारणों से हुई मौत है या फिर वन विभाग की लापरवाही का नतीजा? यदि अधिकारियों ने समय रहते निगरानी बढ़ाई होती, तो क्या यह मौत रोकी जा सकती थी?
वन्यजीव संरक्षण की दिशा में सबक लेने की जरूरत
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि समय पर निगरानी और सुरक्षा उपाय मजबूत किए जाएं, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों ने मांग की है कि सरकार को वन्यजीव सुरक्षा नीति को और सख्त बनाना चाहिए और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए।
क्या आगे होगा?
अब देखना यह है कि वन विभाग इस घटना से क्या सबक लेता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कौन से ठोस कदम उठाए जाते हैं। क्या यह केवल एक और फाइलों में दबी घटना बनकर रह जाएगी, या फिर इस पर ठोस कार्रवाई होगी?