मध्यप्रदेश में कोरोना फिर पकड़ रहा रफ्तार: 17 नए केस, सरकारी जांच ठप, लोग निजी लैब की ओर भागने को मजबूर

भोपाल।
मध्यप्रदेश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण रफ्तार पकड़ता नजर आ रहा है। बीते बुधवार और गुरुवार को राज्यभर में 17 नए मामले सामने आए हैं। इससे पहले कुल संक्रमितों की संख्या 33 थी, जो अब बढ़कर 50 हो चुकी है। वर्तमान में 36 मरीज एक्टिव हैं, जिनमें से दो को अस्पताल में भर्ती किया गया है।
सरकारी जांच ठप, जनता बेहाल
कोरोना की नई लहर के बीच सबसे चिंताजनक बात यह है कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में RT-PCR जांच पूरी तरह से बंद है।
इसका कारण यह है कि लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अभी तक कोरोना जांच किट खरीदने की नई दरें तय नहीं की हैं।
वर्ष 2020 में जो रेट तीन साल के लिए निर्धारित किए गए थे, वे 2023 में समाप्त हो चुके हैं, और 2024 में जांच की आवश्यकता महसूस नहीं की गई, जिससे अब सरकारी व्यवस्था ठप हो गई है।
लोगों को निजी लैब में करानी पड़ रही महंगी जांच
सरकारी व्यवस्था ठप होने के कारण लोग अब निजी लैब में 1200 से 1500 रुपये खर्च कर RT-PCR जांच कराने को मजबूर हैं।
अब तक सामने आए सभी केस निजी लैब की जांच से ही पता चले हैं, जिससे यह अंदेशा और भी गहरा होता जा रहा है कि कई मामले सामने ही नहीं आ पा रहे। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि केरल की तरह लक्षण दिखते ही जांच की व्यवस्था हो, तो काफी अधिक संक्रमितों की पहचान संभव हो सकती है।
सरकार का भरोसा और जमीनी हकीकत में अंतर
हाल ही में भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने आश्वासन दिया कि सरकार जल्द जांच प्रक्रिया फिर से शुरू करेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी के अनुसार सतर्क है और घबराने की जरूरत नहीं है।
लेकिन हालात यह हैं कि प्रदेश को मिली 5 करोड़ की जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन का अब तक उपयोग नहीं हुआ।
प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों में लैब स्थापित करने की योजना थी, लेकिन अब तक सिर्फ भोपाल और इंदौर में ही कुछ काम हो पाया है।
एम्स भोपाल बना संकट में एकमात्र सहारा
फिलहाल एम्स भोपाल एकमात्र ऐसा सरकारी संस्थान है, जहां RT-PCR जांच और कोविड उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
यहां डेडिकेटेड कोविड वार्ड, ICU और एक विशेष टास्क फोर्स तैयार की गई है।
डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में गले में खराश, बुखार और संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, और यदि इन्हें नजरअंदाज किया गया तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
विशेषज्ञों की चेतावनी:
यदि समय रहते टेस्टिंग और निगरानी में तेजी नहीं लाई गई, तो प्रदेश में संक्रमण का ग्राफ और तेजी से ऊपर जा सकता है।