समाज सेवा की मिसाल: कंचन सिंह ठाकुर का समर्पण बन रहा प्रेरणा का स्रोत
कंचन सिंह ठाकुर शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में कर रहीं बेमिसाल काम, गांव-गांव जागरूकता फैलाने की मुहिम जारी

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
जब बात समाजसेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण की होती है, तब कंचन सिंह ठाकुर का नाम सम्मान और प्रेरणा के साथ लिया जाता है। उन्होंने अपने निरंतर प्रयासों और समर्पण से यह सिद्ध कर दिया है कि एक व्यक्ति भी समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकता है। कंचन सिंह ठाकुर की जीवन यात्रा न केवल सराहनीय है, बल्कि युवाओं के लिए एक आदर्श भी है।
शिक्षा के क्षेत्र में अनूठी पहल
कंचन सिंह ठाकुर का मानना है कि शिक्षा ही विकास की असली कुंजी है। उन्होंने जरूरतमंद बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा शिविरों का आयोजन किया, जहाँ बच्चों को न केवल पढ़ाई में मदद दी जाती है, बल्कि जीवन कौशल और नैतिक मूल्यों की भी शिक्षा दी जाती है। उन्होंने बालिकाओं की शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए उनके लिए विशेष शिक्षण सत्र शुरू किए, जिससे कई बच्चियों ने पहली बार स्कूल जाना शुरू किया।
स्वास्थ्य सेवाओं में सक्रिय भागीदारी
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। उन्होंने ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए, जहाँ निशुल्क जांच, दवाइयाँ और परामर्श उपलब्ध कराया गया। कंचन सिंह ठाकुर स्वयं इन शिविरों में मौजूद रहकर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती हैं और स्वच्छता तथा संतुलित आहार के महत्व को समझाती हैं।
पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रयास
कंचन सिंह ठाकुर पर्यावरण संरक्षण को भी अपनी प्राथमिकता मानती हैं। वह समय-समय पर वृक्षारोपण अभियानों में भाग लेती हैं और आमजन को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए रैलियाँ, कार्यशालाएँ और संवाद कार्यक्रम आयोजित करती हैं। उनके प्रयासों से अब तक सैकड़ों पेड़ लगाए जा चुके हैं, और स्थानीय लोगों में हरियाली के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
समाज में बदलाव की अग्रदूत
उनके कार्यों का समाज पर सीधा और सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या स्वास्थ्य और पर्यावरण का, हर जगह उनके प्रयासों से बदलाव देखने को मिला है। स्थानीय लोग उन्हें एक मार्गदर्शक और सामाजिक परिवर्तन की वाहक के रूप में देखते हैं।
एक प्रेरणादायक उदाहरण
कंचन सिंह ठाकुर का जीवन इस बात का उदाहरण है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो संसाधनों की कमी भी रास्ते की बाधा नहीं बन सकती। उनका समर्पण, नेतृत्व और करुणा उन्हें भीड़ से अलग बनाते हैं। आज वह कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं, जो उनकी तरह समाज की सेवा करना चाहते हैं।
निष्कर्ष:
कंचन सिंह ठाकुर जैसे समाजसेवियों की आवश्यकता आज के समय में पहले से कहीं अधिक है। उनका कार्य न केवल सराहनीय है, बल्कि यह हमें यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि हम अपने जीवन में समाज के लिए क्या योगदान दे सकते हैं।