भोपालमध्य प्रदेशराज्य

भोपाल में ट्रैफिक पुलिसकर्मी की बर्बरता: स्कूटी सवार युवती को थप्पड़ मारे, बैड टच का भी आरोप, दोनों पक्षों पर एफआईआर

भोपाल, 21 अप्रैल 2025: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ट्रैफिक चेकिंग के दौरान पुलिस की बर्बरता का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक स्कूटी सवार युवती के साथ न सिर्फ सरेआम मारपीट की गई, बल्कि उसके साथ छेड़छाड़ और बैड टच जैसी गंभीर घटनाएं भी हुईं। युवती का आरोप है कि जब वह इस शिकायत को लेकर थाने पहुंची, तो वहां उसकी बात न सुनकर उल्टा उसके ही खिलाफ केस दर्ज कर दिया गया।

क्या है पूरा मामला?

घटना भोपाल के अवधपुरी थाना क्षेत्र की है। बुधवार शाम करीब 5 बजे 30 वर्षीय एक युवती अपने कॉलोनी के पास स्थित बाजार से कुछ जरूरी सामान खरीदने के लिए स्कूटी से निकली थी। उसने हेलमेट नहीं पहन रखा था। पास ही ट्रैफिक चेकिंग चल रही थी।

युवती का आरोप है कि चेकिंग पॉइंट पर तैनात आरक्षक जितेंद्र ने उसे रोका और चालान की बात कही। तभी वहां प्रधान आरक्षक अतुल चौकसे पहुंचा और बिना किसी बहस या चेतावनी के युवती को चार थप्पड़ मार दिए। पीड़िता के अनुसार, जब उसने विरोध किया तो अतुल ने उसके सिर पर घूंसे भी मारे, जिससे उसकी नाक और मुंह से खून बहने लगा।

युवती का यह भी कहना है कि इस दौरान पुलिसकर्मी ने उसके साथ बदसलूकी करते हुए बैड टच किया और उसके साथ जोर-जबरदस्ती करने की कोशिश की।

थाने में भी नहीं मिली राहत

घटना से सहमी युवती तुरंत गोविंदपुरा थाने पहुंची और पुलिसकर्मी की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की। लेकिन वहां न तो एफआईआर दर्ज की गई, न ही उसकी बात सुनी गई। उल्टा, आरोपी पुलिसकर्मी की शिकायत के आधार पर उसी युवती के खिलाफ ही मामला दर्ज कर लिया गया।

डीसीपी से की शिकायत, तब दर्ज हुई एफआईआर

इससे निराश होकर पीड़िता ने डीसीपी जोन-2 संजय अग्रवाल से मुलाकात की और पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। डीसीपी के हस्तक्षेप के बाद महिला थाने में युवती की शिकायत दर्ज की गई। इसके बाद प्रधान आरक्षक अतुल चौकसे और आरक्षक जितेंद्र के खिलाफ आईपीसी की धाराओं में छेड़छाड़, मारपीट और महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है।

क्या कहती है पुलिस?

डीसीपी संजय अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी प्रधान आरक्षक अतुल चौकसे को डीसीपी ऑफिस अटैच कर दिया गया है। साथ ही जांच की जिम्मेदारी एडिशनल डीसीपी को सौंपी गई है। मामले में निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया गया है।

महिला सुरक्षा पर फिर खड़े हुए सवाल

इस घटना ने एक बार फिर महिला सुरक्षा और पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल ये है कि जब वर्दी पहनने वाले ही महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव करेंगे, तो आम नागरिकों को सुरक्षा और न्याय कैसे मिलेगा? साथ ही, एफआईआर दर्ज करने में देरी और पीड़िता को ही आरोपी बनाने की प्रवृत्ति पुलिस तंत्र में गहराई से जमी समस्याओं को उजागर करती है।

 

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