भोपाल में नौकरी देने वाले होर्डिंग बना चर्चा का विषय: ‘सिर्फ हिंदू लोगों को दी जाएगी नौकरी’
भोपाल में नौकरी देने वाले होर्डिंग बना चर्चा का विषय: ‘सिर्फ हिंदू लोगों को दी जाएगी नौकरी’

भोपाल, मध्य प्रदेश: राजधानी भोपाल के जहांगीराबाद चौराहे पर लगा एक विवादित पोस्टर-होर्डिंग शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस होर्डिंग में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि नौकरी सिर्फ हिंदू लोगों को दी जाएगी। पोस्टर पर विभिन्न प्रकार के कामों के लिए हिंदू मजदूरों के नाम और उनके मोबाइल नंबर भी दिए गए हैं। इस होर्डिंग को महिला जागौरी समिति नामक संगठन द्वारा लगाया गया है, जिसके चलते यह मामला तेजी से सुर्खियों में आ गया है।
पोस्टर में क्या लिखा है?
जहांगीराबाद चौराहे पर लगे इस पोस्टर में यह साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि रोजगार केवल हिंदू समुदाय के लोगों को दिया जाएगा। इसमें अलग-अलग कामों के लिए विभिन्न हिंदू मजदूरों के नाम और उनके संपर्क नंबर भी दिए गए हैं, जिससे कोई भी व्यक्ति उनसे संपर्क कर उनके द्वारा सेवाएं प्राप्त कर सकता है।
समिति की मंशा क्या है?
महिला जागौरी समिति के सचिव नंदू यादव का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य हिंदू समाज को आत्मनिर्भर बनाना है। उनका कहना है कि आजकल हिंदू परिवारों के बच्चे बड़े-बड़े स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन वे छोटे काम करने से कतराते हैं। ऐसे में उनका मानना है कि हिंदू समाज को अपने ही समुदाय के लोगों से काम करवाना चाहिए, ताकि रोजगार और आर्थिक स्वावलंबन को बढ़ावा दिया जा सके।
नंदू यादव ने क्या कहा?
समिति के सचिव नंदू यादव ने बयान दिया कि—
“हम हिंदू-मुसलमान का भेदभाव नहीं कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि हिंदू समाज के लोग आत्मनिर्भर बनें और अपने ही समाज के लोगों को रोजगार दें। आजकल हमारे समाज के युवा छोटे-मोटे काम करने में शर्म महसूस करते हैं, जबकि अन्य समुदाय के लोग इसी क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। हमने पोस्टर में जिन लोगों के नाम लिखे हैं, वे न केवल काम कर सकते हैं, बल्कि काम सिखा भी सकते हैं।”
घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही समिति
महिला जागौरी समिति के सदस्य घर-घर जाकर हिंदू परिवारों से अपील कर रहे हैं कि वे सिर्फ हिंदू मजदूरों से ही काम करवाएं। वे लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यदि समाज के लोग एक-दूसरे की मदद करेंगे, तो इससे समुदाय आर्थिक रूप से मजबूत बनेगा।
होर्डिंग पर बढ़ता विवाद, प्रशासन की चुप्पी
भोपाल में इस होर्डिंग को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जहां कुछ लोग इसे हिंदू समाज के उत्थान के लिए एक अच्छी पहल मान रहे हैं, वहीं कई लोग इसे सामाजिक भेदभाव और संविधान के मूल्यों के खिलाफ बता रहे हैं।
भारत का संविधान किसी भी व्यक्ति को धर्म, जाति, लिंग या भाषा के आधार पर भेदभाव किए बिना रोजगार का अधिकार देता है। ऐसे में इस तरह का पोस्टर लगाना कानूनी रूप से कितना सही है, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
अब तक प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अगर यह मामला तूल पकड़ता है तो संभव है कि प्रशासन इस पर जल्द ही कार्रवाई कर सकता है।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी जोरदार बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे समाज को संगठित करने की एक अच्छी पहल मान रहे हैं, जबकि कई लोग इसे सांप्रदायिक भेदभाव और असंवैधानिक करार दे रहे हैं।
कुछ उपयोगकर्ताओं का कहना है कि—
“हर किसी को अपने समुदाय की मदद करनी चाहिए, यह कोई गलत बात नहीं है।”
वहीं, कई लोग इसे भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ बता रहे हैं।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। संविधान के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को धार्मिक आधार पर रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता। अगर प्रशासन इस होर्डिंग को सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला मानता है, तो इसे हटाने के आदेश दिए जा सकते हैं।