गाडरवारामध्य प्रदेशराज्य
अपनी बुराई कषाय पाप आदि का त्याग करना उत्तम त्याग है -पण्डित सुधीर भैया
अपनी बुराई कषाय पाप आदि का त्याग करना उत्तम त्याग है -पण्डित सुधीर भैया

अपनी बुराई कषाय पाप आदि का त्याग करना उत्तम त्याग है -पण्डित सुधीर भैया
गाडरवारा। श्री दिगम्बर जैन समाज के पर्वराज पर्युषण के अवसर पर श्री तारण तरण दिगम्बर जैन चैत्यालय में परासिया से पधारे पंडित सुधीर भैया के प्रतिदिन प्रवचन हो रहे हैं। पर्युषण का आठवां दिन उत्तम त्याग का होता है। इस दिन का अर्थ बताते हुए पंडित सुधीर भैया ने बताया उत्तम त्याग वह है जहां पर व्यक्ति अपनी बुराई , कषाय, पाप, आदि का त्याग करता है। हम यह पर्युषण पर्व हर साल इसलिए मनाते हैं, जिससे हमनें सालभर में जो गलती की हैं, किसी से बैर बांधा, पाप कर्मों में लिप्त हो गए हैं तो उन्हें इन पर्वो में छोड़ दें। उन्होंने बताया कि त्याग दो प्रकार का होता है। पहला जो कुछ अंशों में किया जाए जैसे धन कमाते हैं तो उससे कुछ भाग दान आदि में दें तथा दूसरा त्याग वह है जहाँ पर व्यक्ति पूर्ण रूप से त्याग करे। मुनिराज पांच पापों का त्याग पूर्ण रूप से करते हैं। परन्तु हम श्रावक पापों का एकदेश त्याग कर सकते हैं। जो व्यक्ति जितना व्रत नियम संयम से जुड़ा रहता है वह नियम से सदगति का पात्र बनता है। पर्युषण पर्व से हमारी आत्मा में विशुद्धि बढ़ती है पर वस्तु से आशक्ति छूटती है, पाप कार्यो से हमें विरक्ति आती है। इसलिए इसे पर्वों का राजा कहा जाता है। इसीलिए पर्युषण पर्व पर त्याग के दिन हमें कुछ न कुछ अवश्य त्यागना चाहिए और दान आदि देना चाहिए।
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