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विश्व हिंदी दिवस: हिंदी के सच्चे साधक आशुतोष राणा, जिनकी कविताएं और अभिनय करते हैं दिलों पर राज

आशुतोष राणा ने अभिनय के साथ साथ अपनी हिंदी की कविताओं और प्रेम से लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी है। आशुतोष राणा की कविताएं भी लोगों के दिलों में बसी हैं।

मुम्बई। 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है, जो हिंदी भाषा की गरिमा और वैश्विक पहचान को सम्मानित करने का दिन है। हिंदी सिनेमा और साहित्य में ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपनी अहम भूमिका निभाई है, और उनमें से एक नाम है आशुतोष राणा।
आशुतोष राणा सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि हिंदी भाषा के एक सच्चे साधक, कवि और प्रेरणा के स्रोत हैं। उनकी हिंदी इतनी प्रभावी और सटीक है कि बड़े-बड़े लेखक भी उनकी भाषाई पकड़ देखकर चौंक जाते हैं।

हिंदी का गौरव बढ़ाने वाले अभिनेता

आशुतोष राणा ने अपने करियर में हर तरह के किरदार निभाए, लेकिन जो बात उन्हें सबसे अलग बनाती है, वह है उनकी हिंदी। उनकी हिंदी का प्रवाह इतना सशक्त है कि उनके संवाद सीधे दिल में उतर जाते हैं। चाहे वह खलनायक की भूमिका हो या किसी गंभीर सामाजिक मुद्दे पर आधारित फिल्म, उनके संवाद हिंदी की गहराई और शक्ति का प्रमाण होते हैं।

उनकी प्रसिद्ध कविता “हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हें जगाने आया हूं” आज भी युवाओं और श्रोताओं के बीच नई ऊर्जा का संचार करती है। उनके शब्द केवल सुने नहीं जाते, बल्कि महसूस किए जाते हैं।

लेखन और कविता से छेड़ी दिलों की धड़कन

आशुतोष राणा की हिंदी पर पकड़ न केवल उनके अभिनय में दिखती है, बल्कि उनकी कविताओं और लेखन में भी साफ नजर आती है। उन्होंने अपनी आवाज में ‘रश्मिरथी’ और अन्य हिंदी साहित्यिक कृतियों को प्रस्तुत कर नई पीढ़ी को हिंदी के महत्व से जोड़ा है। उनकी कविताएं न केवल साहित्यिक मर्म को छूती हैं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहन दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करती हैं।

हिंदी का सम्मान बढ़ाने की पहल

आशुतोष राणा का हिंदी प्रेम केवल सिनेमा और साहित्य तक सीमित नहीं है। वे हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और मंचों पर सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। उनकी आवाज में खनक और शब्दों में गहराई इतनी है कि हर सुनने वाला उनका प्रशंसक बन जाता है। उन्होंने यह साबित किया है कि हिंदी भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मा का संचार है।

विश्व हिंदी दिवस पर आशुतोष राणा को सलाम

विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर आशुतोष राणा जैसे कलाकारों का जिक्र इस बात का प्रमाण है कि हिंदी भाषा केवल एक माध्यम नहीं, बल्कि भावनाओं, संस्कारों और संस्कृति की अभिव्यक्ति है। आशुतोष राणा ने हिंदी को फिल्मों, साहित्य और कविताओं के माध्यम से एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। उनकी कृतियों और प्रयासों ने हिंदी के महत्व को न केवल भारत, बल्कि विश्व स्तर पर भी स्थापित किया है।

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