जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

उच्‍च शिक्षा मंत्री ने संभाग के शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यो की ली बैठक

शिक्षा के संस्‍थानों को बेहतर बनाने समर्पण भाव एवं सकारात्‍मक दृष्टिकोण के साथ कार्य करने की जरूरत

उच्‍च शिक्षा मंत्री ने संभाग के शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यो की ली बैठक

शिक्षा के संस्‍थानों को बेहतर बनाने समर्पण भाव एवं सकारात्‍मक दृष्टिकोण के साथ कार्य करने की जरूरत

उच्‍च शिक्षा मंत्री आज यहां रानी दुर्गावती विश्‍वविद्यालय परिसर स्थित एकात्‍म भवन में जबलपुर संभाग के शासकीय कॉलेजों के प्राचार्यों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में रानी दुर्गावती विश्‍वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. राजेश वर्मा एवं अपर संचालक उच्‍च शिक्षा मौजूद थीं। उच्‍च शिक्षा मंत्री ने बैठक में नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुये कहा कि इसका मुख्‍य उद्देश्‍य भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देना है। उन्‍होंने कहा कि एक समय था जब इस देश में नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्‍वविद्यालय हुआ करते थे। इन्‍हें सरकारें नहीं बल्कि समाज चलाता था। तब शिक्षकों में भारत को विश्‍वगुरू बनाने का भाव हुआ करता था। लेकिन कलांतर में अंग्रेजो द्वारा बनाई शिक्षा नीति के बोझ को हम ढोते रहे और विदेशी सभ्‍यता और संस्‍कारों को अपनी श्रेष्‍ठता पर ज्‍यादा तरजीह देने लगे। श्री परमार ने बैठक में कहा कि नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति भारत की ज्ञान परंपरा और संस्‍कारों को स्‍थापित करने की दिशा में सकारात्‍मक प्रयास है। उन्‍होंने कहा कि इससे अच्‍छे और सशक्‍त समाज का निर्माण होगा और विद्यार्थी में भी देश के प्रति कृतज्ञता के भाव पैदा होंगे। इस देश को जिन महापुरूषों ने खड़ा किया है चाहे वो वैज्ञानिक हो या सैनिक उनका यशोगान होगा।

उच्‍च शिक्षा मंत्री श्री परमार ने बैठक में शासकीय कॉलेजों के प्राचार्यो से कॉलेजों के विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ाने पर सुझाव मांगे। उन्‍होंने कहा कि कॉलेजों में प्रवेश बड़ी संस्‍था में हो रहे हैं लेकिन विद्यार्थियों की उपस्थिति अपेक्षाकृत काफी कम दिखाई दे रही है। श्री परमार ने कहा कि कॉलेजों के प्राचार्यों से सुझाव इसलिये मांगे जा रहे है ताकि जल्‍दी ही इस बारे में निर्णय लिया जा सके। उन्‍होंने विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ाने कॉलेजों में ऐसी गतिविधियों को लागू करने का सुझाव अपनी ओर से कॉलेज के प्राचार्यों को दिया जिससे कि उन्‍हें यह अहसास हो कि वे भी समाज के लिए कार्य कर रहे हैं। मंत्री श्री परमार ने विद्यार्थियों की उपस्थिति को प्रवेश प्रक्रिया से जोड़ने का भी सुझाव रखा। उन्‍होंने कहा कि प्राचार्यों से एकेडमिक कैलेंडर का शतप्रतिशत पालन करने के निर्देश भी दिये। उन्‍होंने विद्यार्थियों का परफार्मेंस इंडेक्‍स तैयार करने पर जोर दिया ताकि वे वर्तमान में मौजूदा चुनौतियों और प्रतिस्‍पर्धा का सामना करने में सक्षम बन सके। श्री परमार ने बैठक में संभाग के पीएमश्री कॉलेज ऑफ एक्‍सीलेंस में उपलब्‍ध सुविधाओं का ब्‍यौरा भी लिया। उन्‍होंने कहा कि शासकीय कॉलेजों के प्राचार्यो को अपने संस्‍थान के एकेडमिक व्‍यवस्‍थाओं पर ज्‍यादा ध्‍यान देना होगा ताकि बेहतर परिणाम प्राप्‍त किये जा सके।

उच्‍च शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्‍य शासन विद्यार्थियों को अच्‍छी शैक्ष‍िक सुविधायें उपलब्‍ध कराने लगातार प्रयास कर रहा है। कॉलेजों में अच्‍छी फैकल्‍टी उपलब्‍ध कराने की दिशा में कदम उठाये जा रहे है। सभी शासकीय कॉलेजों में प्राचार्यों की पदस्‍थापना की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है। उन्‍होंने कॉलेजों के प्राचार्यों से शैक्षणिक सुविधाओं सहित कॉलेजों की जरूरतों के प्रस्‍ताव भेजने की बात भी कही। श्री परमार ने कहा कि उन कॉलेजों को अच्‍छे साधन उपलब्‍ध कराने प्राथमिकता दी जायेगी जहां विद्यार्थियों की संख्‍या अधिक है। उन्‍होंने कहा कि प्रवेश की प्रक्रिया से लेकर समय पर परीक्षायें कराने और समय पर परीक्षा परिणाम घोषित करने की सभी विश्‍वविद्यालयों के लिये कॉमन नीति बनाये जाने पर भी विचार किया जा रहा है। उच्‍च शिक्षा मंत्री ने बैठक में शिक्षकों के प्रति सम्‍मान व्‍यक्‍त करते हुये कहा कि यह ऐसा समूह है जो ज्ञान को एक पीढी से दूसरी पीढी तक पहुंचाने का कार्य करता है और अपने विद्यार्थी के अच्‍छे भविष्‍य के लिए अपना अस्तित्‍व भी खो देता है।

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