सीएमएचओ कार्यालय की महिला कर्मी विनीता विलियम रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

जबलपुर, 6 मई 2025।
स्वास्थ्य विभाग के एक संवेदनशील कार्यालय में भ्रष्टाचार का एक और मामला उजागर हुआ है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) कार्यालय, जबलपुर में पदस्थ आरटीआई शाखा की महिला कर्मचारी विनीता विलियम को लोकायुक्त पुलिस जबलपुर की टीम ने सोमवार को चार हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
इस कार्रवाई से कार्यालयीन कर्मचारियों में हड़कंप मच गया और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
शिकायत से गिरफ्तारी तक: पूरा घटनाक्रम
लोकायुक्त डीएसपी नीतू त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि राकेश विश्वकर्मा नामक एक व्यक्ति ने दिनांक 2 मई 2025 को लोकायुक्त एसपी को एक लिखित शिकायत दी थी। शिकायत के अनुसार, शिकायतकर्ता ने सीएमएचओ कार्यालय में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत आवेदन देकर कुछ कर्मचारियों की पदस्थापना संबंधी जानकारी मांगी थी।
इस दौरान शिकायतकर्ता की मुलाकात विनीता विलियम से हुई, जिन्होंने यह जानकारी उपलब्ध कराने के लिए ₹5,000 की रिश्वत की मांग की। लगातार वार्ता के बाद सौदा ₹4,000 में तय हुआ।
लोकायुक्त की योजना और ट्रैप
शिकायत की प्रारंभिक जांच के बाद लोकायुक्त ने एक ट्रैप प्लान तैयार किया।
जैसे ही शिकायतकर्ता ने सोमवार को कार्यालय में रिश्वत की राशि विनीता विलियम को सौंपी, पहले से तैयार लोकायुक्त टीम ने तत्काल मौके पर पहुंचकर उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया।
इस दौरान रिश्वत की रकम विनीता विलियम के पास से बरामद की गई, जिसे लोकायुक्त अधिकारियों ने सबूत के रूप में जब्त किया है। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग की साख पर सवाल
इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग गया है। एक ओर सरकार पारदर्शिता और जन सूचना अधिकार को मजबूत करने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर आरटीआई जैसे सार्वजनिक अधिकार से जुड़ी जानकारी देने में भी रिश्वतखोरी की घटनाएं सामने आ रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, लोकायुक्त अब यह भी जांच कर रही है कि क्या इस तरह की रिश्वतखोरी एकमात्र घटना थी या विभाग में और भी कर्मचारी इस प्रकार की अनैतिक गतिविधियों में संलिप्त हैं।
आगे की कार्रवाई
लोकायुक्त द्वारा महिला कर्मचारी के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है और उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। जल्द ही उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। वहीं, सीएमएचओ कार्यालय की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है।
निष्कर्ष:
यह घटना साफ तौर पर दर्शाती है कि आरटीआई जैसे पारदर्शिता से जुड़े अधिकारों को भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया जा रहा है। जरूरत है कि विभागीय स्तर पर सतर्कता बढ़ाई जाए और दोषियों को कठोर दंड मिले ताकि सरकारी दफ्तरों में आम जनता को न्याय और जानकारी बिना बाधा प्राप्त हो सके।