टॉप न्यूज़देश

साहब खर्चे बढ रहे,बात वो नहीं जिसके चर्चे उड़ रहे हैं..

साहब खर्चे बढ रहे,बात वो नहीं जिसके चर्चे उड़ रहे हैं..

साहब खर्चे बढ रहे, बात वो नहीं जिसके चर्चे उड़ रहे हैं..

महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं..

पहले नानी के घर मनातें थे छुट्टियां,
आम-अमरूद खाकर मनातें थे छुट्टियां,
अब तो गोआ मनाली के ट्रिप लग रहे हैं,
महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं…

सरे राह रोज यूं ही नही मिलते थे लोग,
पहले मीलो मील पैदल चलते थे लोग,
आज दो कदम जाने को कैब बुक कर रहे हैं, लोग
महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं…

घर में बने खाने पर स्वाद लेकर इतराते थे हम,
नमक संग रोटी भी खुशी-खुशी खाते थे हम,
अब तो हर वीकेंड सब होटल में दिख रहे हैं,
महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं…

दो जोङी कपडें में पूरा साल निकलता था,
बस दिवाली के दिन नया जोङा सिलता था,
अब तो शौक-फैशन के लिए शापिंग कर रहे हैं,
महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं…

एक टीवी से पूरा मोहल्ला चलता था,
एक दूरदर्शन से पूरा घर बहलता था,
अब तो नैटफ्लिक्स और ऐमेजोन प्राइम के जाल में फंस गए हैं,
महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं…
पंद्रह पैसे का पोस्ट कार्ड,
पैंतीस पैसे के अंतरदेशीय खत का इंतजार रहता था,
और खत के अंदर सब के लिए एक त्योहार रहता था,
अब तो बस सब के हाथो में मोबाइल दिख रहे हैं,
महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं.

अवधेश चौकसे पत्रकार  सालीचौका

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!