सोहागपुर बीईओ नरेंद्र राज जी: शिक्षा प्रबंधन से लेकर समुदाय जागरूकता तक की प्रेरणादायक यात्रा

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
नर्मदापुरम / सोहागपुर। शिक्षा को जीवन का आधार मानते हुए, सोहागपुर विकासखंड के बीईओ नरेंद्र राज जी ने शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी मिसाल कायम की है जो आने वाली पीढ़ियों को दिशा दिखाएगी। उनके नेतृत्व में न केवल शैक्षणिक सुधार हुए बल्कि सामाजिक बदलाव की भी नींव पड़ी।
शिक्षकों को मूल शाला में वापस बुलाने की पहल
संयुक्त संचालक लोक शिक्षण, नर्मदापुरम भावना दुबे जी द्वारा 9 अप्रैल को जारी आदेश के बाद, शिक्षा विभाग में बड़ा सुधार देखने को मिला है। आदेश में स्पष्ट किया गया कि “किसी भी शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जाएगा।” इसके बाद शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों में वापस भेजा गया, जिससे वे पूरी ऊर्जा के साथ बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
नरेंद्र राज जी: शिक्षा का पर्याय
नरेंद्र राज जी ने अपने कार्यकाल में शिक्षा के लिए जो कदम उठाए, वह अद्वितीय हैं:
- नवाचार और रचनात्मकता: उन्होंने शिक्षण को रोचक और प्रभावी बनाने के लिए कई नए प्रयोग किए।
- नेतृत्व क्षमता: टीम को संगठित कर उन्होंने सोहागपुर ब्लॉक में शिक्षा की नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
- समाज जागरूकता: शिक्षा के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए, जिससे अब अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता दे रहे हैं।
- विद्यार्थियों की उड़ान: उनके मार्गदर्शन में कई छात्र आज विदेशों में बड़े पदों पर कार्यरत हैं।
ईमानदारी और पारदर्शिता का प्रतीक
नरेंद्र राज जी के कार्यों में पारदर्शिता, ईमानदारी और अनुशासन प्रमुख रहे हैं। वे गरीब और वंचित बच्चों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा से ही देश और समाज का विकास संभव है।
भावना दुबे जी का बयान
संयुक्त संचालक भावना दुबे जी ने कहा –
“शिक्षा विभाग में यह पहल एक मील का पत्थर साबित होगी। हम सभी को मिलकर शिक्षकों को उनके वास्तविक कर्तव्यों की ओर लौटाना है, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में निखार आ सके।”
नरेंद्र राज जी जैसे समर्पित अधिकारियों के चलते ही शिक्षा विभाग में सकारात्मक बदलाव संभव हो रहे हैं। उनके प्रयासों से न केवल विद्यार्थी बल्कि पूरा समाज प्रेरित हो रहा है।