पालतू श्वान को बच्चे की तरह पाला, नर्मदा तट पर किया अस्थियों का विसर्जन, अब तेरहवीं में बेसहारा श्वानों और जरूरतमंदों को भोजन कराएंगी

गाडरवारा। गाडरवारा की रहने वाली ऋचा सोनी बुधौलिया ने पशु प्रेम और मानवीय संवेदनशीलता की अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने अपने 13 वर्षीय पालतू श्वान ‘काह्ना’ की मृत्यु के बाद न केवल वैदिक रीति-रिवाजों के साथ उसका अंतिम संस्कार किया, बल्कि अस्थियां नर्मदा नदी के पवित्र बरमान घाट पर प्रवाहित कीं। ऋचा के इस कदम को देखकर घाट पर मौजूद हर व्यक्ति ने उनकी सराहना की।
ऋचा ने बताया कि काह्ना उनके परिवार का हिस्सा था और उन्होंने उसे एक बच्चे की तरह पाला था। वह काह्ना को अपनी मां की प्रेरणा से बेहद स्नेह और देखभाल के साथ पाल रही थीं। उसकी मृत्यु के बाद उन्होंने इंसानों की तरह सभी संस्कारों का पालन करते हुए उसकी विदाई की।
अस्थि-विसर्जन से पहले वैदिक रीति से हुआ पूजन
बरमान घाट पर ऋचा ने विधिपूर्वक श्वान की अस्थियां विसर्जित करने से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन करवाया। घाट पर मौजूद पुजारियों ने उन्हें इस कार्य में पूरा सहयोग दिया। ऋचा ने बताया कि यह उनके कर्तव्य का हिस्सा था, क्योंकि वह काह्ना को अपने परिवार का सदस्य मानती थीं।
तेरहवीं में होंगे विशेष आयोजन
काह्ना की स्मृति में ऋचा ने उसकी तेरहवीं का आयोजन भी तय किया है। इस दौरान आसपास के बेसहारा श्वानों को भोजन कराया जाएगा। साथ ही, जरूरतमंद लोगों को खाद्य सामग्री वितरित की जाएगी। ऋचा का कहना है कि यह उनका छोटा सा प्रयास है, जिससे वे काह्ना की याद को सम्मानपूर्वक जीवित रखना चाहती हैं।
मां से मिली प्रेरणा, बचपन से है पशु प्रेम
ऋचा ने बताया कि उनकी मां केंद्रीय विद्यालय नरसिंहपुर में प्राचार्य थीं और उन्होंने हमेशा पशु-पक्षियों के प्रति दया और प्रेम दिखाने की शिक्षा दी। मां की सेवानिवृत्ति के बाद जब ऋचा गाडरवारा आईं, तो उन्होंने बेसहारा श्वानों की सेवा शुरू की। उनके पास 8 से 10 श्वान थे, जिन्हें वह अपने परिवार का हिस्सा मानती थीं। इनमें से कई श्वानों की मृत्यु के बाद भी उन्होंने नरसिंहपुर के मुक्तिधाम में विधिवत अंतिम संस्कार किया।
समाज के लिए प्रेरणा बनी ऋचा
ऋचा का यह कदम समाज में पशुओं के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने का एक सशक्त उदाहरण है। उन्होंने साबित किया कि सिर्फ इंसानों के प्रति नहीं, बल्कि सभी जीवों के प्रति करुणा और दया का भाव रखना जरूरी है। ऋचा का कहना है कि वह अब भी सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा श्वानों के लिए रोजाना भोजन का प्रबंध करती हैं और उनकी देखभाल करती हैं।
पशु प्रेम की अनूठी मिसाल
ऋचा का यह कदम यह संदेश देता है कि जीवन का हर रूप मूल्यवान है और सभी जीवों के प्रति समान संवेदनशीलता रखनी चाहिए। उन्होंने अपने कार्यों से यह साबित कर दिया कि अगर इंसान अपने आसपास के जीवों के प्रति थोड़ी दया और प्रेम दिखाए, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
ऋचा के इस पशु प्रेम और मानवीय संवेदना को देखकर लोग प्रेरित हो रहे हैं। उनके इस अनूठे कार्य की हर जगह सराहना हो रही है।