लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई: नर्मदापुरम में BRC अधिकारी कृष्णकुमार शर्मा 5000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
नर्मदापुरम, 17 अप्रैल 2025 – मध्य प्रदेश में सरकारी योजनाओं के संचालन में पारदर्शिता बनाए रखने के उद्देश्य से सक्रिय लोकायुक्त संगठन ने एक और बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। नर्मदापुरम जिले में BRC (ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर) अधिकारी कृष्णकुमार शर्मा को 5000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत शासकीय विद्यालयों से मध्याह्न भोजन एवं कंटीजेंसी फंड के नाम पर अवैध वसूली की शिकायत के आधार पर की गई।
कैसे हुआ भ्रष्टाचार का खुलासा?
लोकायुक्त कार्यालय को प्राथमिक शाला सोमखेड़ा के शिक्षक देवेंद्र पटेल द्वारा शिकायत प्राप्त हुई थी कि BRC अधिकारी शर्मा ने उनसे 3000 रुपये की रिश्वत की मांग की है। इसके अतिरिक्त, शर्मा द्वारा सर्किल के चार अन्य स्कूलों से भी 3000-3000 रुपये की मांग की जा रही थी, जिससे कुल 15,000 रुपये की अवैध वसूली का दबाव बनाया गया।
शिकायत की पुष्टि के लिए लोकायुक्त टीम ने एक योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई की और शिकायतकर्ता के माध्यम से 5000 रुपये की प्रथम किस्त लेते हुए अधिकारी कृष्णकुमार शर्मा को रंगे हाथों पकड़ लिया।
कानूनी कार्रवाई और धाराएं
इस कार्रवाई के तहत आरोपी अधिकारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, संशोधन 2018 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह धारा सरकारी सेवकों द्वारा रिश्वत लेने या उसका प्रयास करने पर कठोर सजा का प्रावधान करती है।
टीम और नेतृत्व
यह कार्रवाई लोकायुक्त निरीक्षक रजनी तिवारी के नेतृत्व में गठित विशेष टीम द्वारा की गई। लोकायुक्त महानिदेशक योगेश देशमुख के निर्देशन में चलाए जा रहे “भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन” अभियान के अंतर्गत इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। टीम की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है।
लोकायुक्त की हालिया कार्रवाईयों की श्रृंखला में एक और उदाहरण
यह घटना हाल ही की उन घटनाओं की श्रृंखला में एक और उदाहरण है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा रिश्वत मांगने के मामलों में त्वरित कार्रवाई की गई है। इससे पहले बालाघाट में पिता-पुत्र को 30,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था, जिसने विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए थे।
जनता में संदेश और प्रभाव
लोकायुक्त की इस कार्रवाई से स्पष्ट संदेश गया है कि शासकीय तंत्र में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिक्षा जैसे संवेदनशील विभाग में पदस्थ अधिकारी द्वारा रिश्वत लेना न केवल नैतिक रूप से निंदनीय है, बल्कि इससे शासन की योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ता है।