गेहूं की नरवाई में आग लगाने से नहीं मान रहे किसान, शासन प्रशासन मौन

संवाददाता अवधेश चौकसे
सालीचौका, नरसिंहपुर: क्षेत्र में गेहूं की नरवाई जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। ताजा मामला ग्राम मारेगांव मौज का है, जहां करीब 30 से 40 एकड़ में खड़ी गेहूं की फसल आग की भेंट चढ़ गई। किसानों की खून-पसीने से उगाई फसल उनकी आंखों के सामने जलकर राख हो गई, लेकिन प्रशासन अब तक कोई ठोस कार्रवाई करता नहीं दिख रहा।
कलेक्टर के आदेश हवा में उड़ रहे, किसान बेपरवाह
जिला प्रशासन ने साफ आदेश दिया था कि 5 मई 2025 तक कोई भी किसान गेहूं की नरवाई में आग नहीं लगाएगा। आदेश का उल्लंघन करने पर ₹5000 प्रति एकड़ का जुर्माना और एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान भी किया गया था। बावजूद इसके, सालीचौका और आसपास के गांवों में किसान रात के अंधेरे में नरवाई जलाने से बाज नहीं आ रहे। प्रशासन इस पर पूरी तरह मौन है, जिससे सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ रही हैं।
मिट्टी की उर्वरकता खत्म, गायों के चारे का संकट बढ़ा
नरवाई जलाने से खेतों की उर्वरक क्षमता नष्ट हो रही है और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा, गायों के लिए चारे की समस्या भी गहरा रही है। सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर गौशालाएं खोल रही है, लेकिन वहां गौ-ग्रास प्रबंधन की उचित व्यवस्था नहीं होने से गोवंश भूख से तड़प रहा है।
प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी होगी
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी होगी। किसान यदि नरवाई जलाना बंद नहीं करते हैं, तो कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ उन्हें वैकल्पिक समाधानों जैसे मशीनों से फसल अवशेष प्रबंधन और गौशालाओं को अवशेष देने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
क्या प्रशासन इस पर ध्यान देगा, या फिर किसान यूं ही अपने नुकसान का गवाह बनते रहेंगे?