भास्कर ओपिनियन:कश्मीर घाटी में लोकतंत्र की महक, 24 सीटों पर वोटिंग 18 को

हरियाणा में वोटिंग अभी दूर है लेकिन जम्मू कश्मीर की 24 सीटों पर चुनाव प्रचार बंद हो चुका है। 18 सितंबर को साउथ कश्मीर की 16 और जम्मू रीजन की आठ सीटों पर वोटिंग होने वाली है। चूँकि इस पहले चरण की वोटिंग में जम्मू क्षेत्र की सीटें कम हैं, इसलिए समझा जा रहा है कि यह चरण भाजपा के लिए ज़्यादा उत्साहजनक नहीं रहने वाला है। हालाँकि साउथ कश्मीर में पीडीपी की पकड़ ज़्यादा मज़बूत मानी जाती है लेकिन कहा यह जा रहा है कि इस बार यहाँ भी पीडीपी की दाल पतली है। यही वजह है कि पहले दौर की वोटिंग वाली सीटों पर नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन आगे दिखाई दे रहा है। हालाँकि धारा 370 का मुद्दा काफ़ी चल रहा है लेकिन वह किसके पक्ष या विपक्ष में जाएगा, यह कहना फ़िलहाल मुश्किल है। इतना तय है कि जम्मू रीजन की 43 सीटों पर हर हाल में भाजपा को ही बढ़त मिलने वाली है। घाटी किसके पक्ष में जाएगी, यह बड़ा पेचीदा सवाल है? यहाँ वोटिंग परसेंटेज भी जम्मू रीजन के मुक़ाबले कम ही रह सकता है। क्योंकि यह वर्षों का ट्रेंड रहा है कि कश्मीर घाटी में अमूमन वोटिंग प्रतिशत जम्मू के मुक़ाबले कम ही रहा है। हालाँकि पिछले लोकसभा चुनाव में बहुत हद तक कम वोटिंग की यह परम्परा टूट गई थी लेकिन तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो जम्मू रीजन ही वोटिंग प्रतिशत के मामले में आगे रहता है। वैसे इसके लिए कश्मीर घाटी की भौगोलिक परिस्थिति भी जिम्मेदार है लेकिन चुनाव आयोग ने फिर भी ज़्यादा से ज़्यादा वोटिंग के लिए इस बार पूरे प्रयास किए हैं। निश्चित रूप से पहले के मुक़ाबले इस बार ज़्यादा वोटिंग की उम्मीद की जा रही है। वोटिंग प्रतिशत जितना ज़्यादा होगा, लोकतंत्र उतना ही सुदृढ़, सरल और मज़बूत होगा। बहरहाल, पहले दौर में शांतिपूर्ण चुनाव होने जा रहे हैं। यहाँ दूसरे दौर की वोटिंग 25 सितम्बर को होने वाली है जिसमें 26 सीटों के लिए वोट डाले जाएँगे। वोटिंग का तीसरा और अंतिम दौर एक अक्टूबर को होगा। इस दौर में सर्वाधिक चालीस सीटों को लिए मतदान होगा। यही दौर निर्णायक समझा जा रहा है। वोटों की गिनती आठ अक्टूबर को होगी।