अधूरा पुल बना मौत का जाल: बरेली में कार नदी में गिरी, तीन लोगों की दर्दनाक मौत, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
बरेली। यूपी के बरेली जिले में रविवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना हुई, जब गूगल मैप (जीपीएस) के सहारे यात्रा कर रही एक कार रामगंगा नदी पर बने अधूरे पुल से गिरकर 50 फीट नीचे जा गिरी। इस भयावह हादसे में कार सवार तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। पुल अधूरा होने के बावजूद वहां न तो कोई बैरिकेड था और न ही चेतावनी देने वाला साइन बोर्ड।
कैसे हुआ हादसा?
घटना फरीदपुर थाना क्षेत्र की है, जहां रामगंगा नदी पर बना पुल कई वर्षों से अधूरा है। चालक को इस बात का अंदाजा नहीं था कि पुल खत्म हो चुका है। जीपीएस का सहारा लेते हुए कार पुल पर आगे बढ़ी और सीधे नदी में गिर गई। पुल पर कोई अवरोधक या संकेतक नहीं था, जिससे हादसे को रोका जा सकता।
कौन है जिम्मेदार?
घटना के बाद प्रशासनिक लापरवाही खुलकर सामने आई है। पुल का निर्माण 2020 में पूरा हुआ था, लेकिन एप्रोच रोड (पुल तक का रास्ता) अधूरी थी। 2023 में बाढ़ के दौरान एप्रोच रोड बह गई, लेकिन इसे न तो दोबारा बनाया गया और न ही रास्ता बंद करने की व्यवस्था की गई।
एफआईआर दर्ज, किन पर कार्रवाई?
कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए लोक निर्माण विभाग (PWD), सेतु निगम के अभियंताओं, गूगल के क्षेत्रीय प्रबंधक, और पांच अज्ञात ग्रामीणों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। जांच के लिए बरेली और बदायूं के डीएम को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
स्थानीय लोगों की अनसुनी शिकायतें
स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे वर्षों से पुल और एप्रोच रोड की स्थिति को लेकर अधिकारियों से शिकायत कर रहे थे। 2022 में बनाई गई एप्रोच रोड भी नदी के बहाव में बह गई थी। इसके बावजूद प्रशासन ने रास्ता बंद करने या सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए।
जीपीएस और तकनीकी खामी भी बनी वजह
पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से की जानकारी गूगल मैप में अपडेट नहीं थी। पुलिस का कहना है कि चालक ने नेविगेशन सिस्टम पर भरोसा किया और यह नहीं समझ पाया कि पुल अधूरा है।
क्या कह रहे हैं अधिकारी?
सेतु निगम के क्षेत्रीय इंजीनियर ने बताया कि 2021 में पुल को लोक निर्माण विभाग को सौंप दिया गया था। इसके बाद एप्रोच रोड बनाने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की थी। हालांकि, विभाग की लापरवाही के कारण यह काम अधूरा रह गया।
पुल से कटा 250 गांवों का संपर्क
रामगंगा नदी पर बना यह पुल बरेली और बदायूं के बीच 250 गांवों को जोड़ता था। एप्रोच रोड के बह जाने से इन गांवों का संपर्क टूट गया है। लोगों को अब बरेली होकर लंबा सफर तय करना पड़ता है।
हादसे के बाद प्रशासन का कदम
हादसे के बाद आनन-फानन में पुल पर अस्थायी दीवार बनाकर आवाजाही रोक दी गई है। हालांकि, सवाल यह उठता है कि अगर यह कदम पहले उठाया जाता तो तीन जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।
निष्कर्ष: लापरवाही या प्रशासनिक विफलता?
यह हादसा सरकारी विभागों की भारी लापरवाही और तकनीकी अद्यतन की कमी का परिणाम है। तीन जानें जाने के बाद प्रशासन हरकत में तो आया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे आगे कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे? या फिर ये लापरवाही आगे और जिंदगियां लीलती रहेगी?