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मेरे घर भी तो दिवाली है! मिट्टी के दीयों ने लाई कुम्हारों के चेहरे पर रोशनी

मेरे घर भी तो दिवाली है! मिट्टी के दीयों ने लाई कुम्हारों के चेहरे पर रोशनी

मेरे घर भी तो दिवाली है! मिट्टी के दीयों ने लाई कुम्हारों के चेहरे पर रोशनी

नरसिहंपुर : दीपावली पर्व के अवसर पर जिले में दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। दिवाली पांच दिन का पर्व है। दिवाली की इस पूजा में मिट्टी के दीये का इस्तेमाल कर माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। दीपोत्सव के इस पर्व पर मिट्टी से बने दीयों और बर्तनों की मांग अधिक होती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के वोकल फॉर- लोकल के आव्हान के बाद कुम्हारों को यह उम्मीद है कि यह दीवाली उनकी भी खुशियों से भरी होगी। जिले के प्रमुख हाट बाजारों में दीया- बाती, झाड़ू, श्रृंगार सामग्री और घर के द्वार पर बांधने वाले बंदना दिखाई देने लगे हैं। बहुत ही कम दाम पर मिलने वाले इन मिट्टी के बर्तनों एवं अन्य सामग्री को कुम्हार की चाक से बाजारों तक लाने का काम बड़ा ही चुनौती पूर्ण होता है।

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      नरसिंहपुर के श्री रोहित चक्रवर्ती बताते हैं कि मिट्टी लाने से लेकर उसे गूंथने, पहिये पर रखकर आकार देने, सूखाने एवं अच्छी तरह पकाने की प्रक्रिया की जाती है। उसके बाद उसे रंगने का काम होता है। इस काम में वे और उनका परिवार एक माह पहले से जुट जाते हैं। इसके बाद शुरू होती है इन्हें बेचने की कवायद। मिट्टी का सामान बेचने के लिए कारीगरों द्वारा अपने मोटर साईकिल, हाठ ठेले एवं साईकिल से जाकर दूर हाट बाजारों तक जाना पड़ता है। वे मानते हैं कि बाजारों में आने वाली चाइनिज लाईटों, दीयों ने मिट्टी के दी‍यों का स्थान लिया है। लेकिन स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए जो अपील प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की है वह प्रशंसनीय है। उन्होंने इन स्थानीय उत्पादों को स्थानीय लोगों से खरीदने का आव्हान भी किया है। इससे हमारी पुस्तैनी विरासत एवं स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही कुम्हारों को उनकी मेहनत का सही दाम मिलेगा। मिट्टी के दीये, बर्तन प्रकृति संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

      नरसिंहपुर के ही श्री वासु कुमार बताते हैं कि आज भी कई कुम्हार परिवार हैं, जो अपने इस पुस्तैनी काम को कर रहे हैं, जो बाजारों में रंग- बिरंगे मिट्टी के मटके, रंगोली, मूर्तियां, गुल्लक, करबे, दीये बनाकर इसे जिंदा रखे हुए हैं। खास बात यह है कि यह सारी चीजें कम दाम पर मिल जाती हैं। वे कहते हैं कि नरसिंहपुर जिला प्रशासन ने हमारी सुविधा का ख्याल रखा है। मिट्टी के बर्तन आदि बाजार के मुख्य स्थानों में बेचने के लिए जगह उपलब्ध कराई गई है। साथ ही किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लिया जा रहा है।

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