
पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में स्वारगेट बस डिपो में सरकारी बस के अंदर 26 वर्षीय महिला से बलात्कार के मामले ने तूल पकड़ लिया है। पुलिस ने आरोपी दत्तात्रेय रामदास गाडे की पहचान सार्वजनिक कर दी है और उसकी गिरफ्तारी के लिए 1 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है। इस मामले में पुलिस तेजी से कार्रवाई कर रही है और 13 टीमें आरोपी की तलाश में जुटी हैं।
कैसे हुआ अपराध?
मंगलवार की सुबह पीड़िता फलटण जाने के लिए बस का इंतजार कर रही थी। तभी आरोपी गाडे ने उसे झांसा दिया कि उसकी बस किसी अन्य स्थान पर खड़ी है। विश्वास में लेकर वह महिला को शिवसाही बस में ले गया और फिर बस के अंदर उसका रेप किया। वारदात के बाद पीड़िता ने हिम्मत जुटाकर स्वारगेट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई
- पुलिस ने आरोपी की तस्वीर जारी की है और उसे पकड़ने में मदद करने वाले को 1 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।
- आरोपी की गिरफ्तारी के लिए क्राइम ब्रांच की आठ और स्वारगेट पुलिस स्टेशन की पांच टीमें अलग-अलग इलाकों में दबिश दे रही हैं।
- पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी एक हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ चोरी, डकैती और चेन स्नैचिंग के कई मामले दर्ज हैं। वह 2019 से जमानत पर बाहर था।
सरकार और विपक्ष आमने-सामने
इस घटना के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
- राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वारगेट बस स्टैंड के सामने ही पुलिस चौकी है, फिर भी यह घटना कैसे हुई? उन्होंने आरोपी को जल्द पकड़कर फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने की मांग की।
- कांग्रेस ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस्तीफा मांगा है, आरोप लगाते हुए कि राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
- महिला आयोग और एनसीडब्ल्यू (राष्ट्रीय महिला आयोग) ने भी पुलिस को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
क्या एक्शन लिया गया?
महाराष्ट्र सरकार ने घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वारगेट बस डिपो के सहायक परिवहन अधीक्षक और प्रबंधक पर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) को डिपो के सुरक्षा कर्मियों को बदलने का निर्देश भी दिया गया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
अब आगे क्या?
फरार आरोपी की तलाश तेज कर दी गई है। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस मामले ने एक बार फिर महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है और सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।