मध्य प्रदेशराज्य

बेसमेंट में चल रहे शोरूम, घोड़ाडोंगरी नगर परिषद की चुप्पी सवालों के घेरे में

मुख्यमंत्री के आदेशों की अनदेखी, कहीं बड़ी मिलीभगत तो नहीं?

संवाददाता शैलेंद्र गुप्ता

घोड़ाडोंगरी (बैतुल)। प्रदेशभर में बेसमेंट में चल रहे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई के निर्देश भले ही मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा 29 अगस्त को दिए गए हों, लेकिन घोड़ाडोंगरी नगर परिषद अब तक इस दिशा में पूरी तरह निष्क्रिय साबित हो रही है।

दिल्ली की एक दुखद दुर्घटना के बाद मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि सभी नगर निकाय अपने-अपने क्षेत्र में बेसमेंट का सर्वे कर गैरकानूनी उपयोग पर सख्त कार्रवाई करें। इन आदेशों के तहत बैतुल नगर पालिका ने “गुप्ता माल” के बेसमेंट को सील कर तीन लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका था, लेकिन घोड़ाडोंगरी नगर परिषद ने आज तक न तो कोई सर्वे कराया, न ही किसी भी अवैध बेसमेंट शोरूम पर कोई कार्रवाई की है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि इस संबंध में कई बार मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) और इंजीनियर को शिकायतें दी गईं, परन्तु जवाब मिला कि “शासन का पत्र कहीं घूम गया है।” इससे अधिकारियों की उदासीनता और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का रवैया स्पष्ट झलकता है।

सूत्रों की मानें तो नगर परिषद के भीतर लेन-देन का खेल भी इस निष्क्रियता का एक बड़ा कारण हो सकता है। घोड़ाडोंगरी नगर परिषद पहले भी भ्रष्टाचार और मिलीभगत के आरोपों के चलते चर्चाओं में रही है।

नियमानुसार नगर पालिका क्षेत्र में 12 मीटर से ऊँची इमारत और बेसमेंट की अनुमति नहीं दी जाती है, फिर भी खुलेआम अवैध रूप से बेसमेंट में शोरूम और आवासीय निर्माण जारी हैं। सवाल उठता है कि क्या नगर परिषद किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रही है?

अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री के आदेशों की खुली अवहेलना कर रहे अधिकारियों पर कब तक कार्रवाई होती है, या फिर ये मामला भी फाइलों में दब कर रह जाएगा।

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