स्वागत है सुनीता… 9 महीने बाद धरती पर लौटीं अंतरिक्ष की जांबाज बेटी
17 घंटे का रोमांचक सफर, आसमां से घर लौटे धरती के सितारे

वॉशिंगटन: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर 9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर लौट आए हैं। उनके साथ क्रू-9 के अन्य सदस्य, अमेरिकी एस्ट्रोनॉट निक हेग और रूसी एस्ट्रोनॉट अलेक्जेंडर गोरबुनोव भी इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा रहे।
ड्रैगन कैप्सूल ने सफलतापूर्वक फ्लोरिडा के तट के पास समुद्र में लैंडिंग की। पैराशूट के सहारे कैप्सूल धीरे-धीरे समुद्र में उतरा, जहां नासा और स्पेसएक्स की टीमें पहले से तैयार थीं। जैसे ही अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी की पुष्टि हुई, नासा के कंट्रोल रूम में तालियों की गूंज सुनाई दी।
कैप्सूल से बाहर आते ही सुनीता की पहली प्रतिक्रिया
लैंडिंग के बाद जब कैप्सूल का तापमान सामान्य हुआ, तो अंतरिक्ष यात्रियों को एक-एक करके बाहर निकाला गया। जैसे ही सुनीता विलियम्स कैप्सूल से बाहर आईं, उन्होंने हाथ हिलाकर अभिवादन किया और अपनी मुट्ठी तानकर इस मिशन की सफलता का संदेश दिया। उनके चेहरे पर मुस्कान थी और आंखों में गर्व झलक रहा था।
10 दिन का मिशन, लेकिन 9 महीने का इंतजार
सुनीता और बुच विल्मोर 5 जून 2024 को नासा और बोइंग के ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट’ मिशन पर रवाना हुए थे। यह मिशन सिर्फ 10 दिनों के लिए था, लेकिन तकनीकी खामी के कारण 9 महीने से अधिक समय तक उन्हें स्पेस स्टेशन पर ही रहना पड़ा। इस दौरान, उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया और नासा के मिशन को सफलतापूर्वक जारी रखा।
कैसे हुआ धरती पर वापसी का सफर?
- 18 मार्च, सुबह 08:35 बजे: स्पेसक्राफ्ट का हैच (दरवाजा) बंद हुआ।
- 10:35 बजे: ISS से अलग हुआ।
- 19 मार्च, रात 2:41 बजे: डीऑर्बिट बर्न शुरू हुआ, जिससे स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने लगा।
- सुबह 3:27 बजे: ड्रैगन कैप्सूल फ्लोरिडा तट के पास समुद्र में लैंड हुआ।
- कैप्सूल के तापमान सामान्य होने के बाद: अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
नासा और स्पेसएक्स की ऐतिहासिक सफलता
इस सफल मिशन के साथ, नासा और स्पेसएक्स ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। यह मिशन बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की क्षमता को परखने के लिए था, ताकि भविष्य में इसे और बेहतर बनाया जा सके।
आज पूरी दुनिया ने देखा कि अंतरिक्ष में बिताए 9 महीने और 14 दिन के बाद भी सुनीता विलियम्स और उनकी टीम मजबूती से वापस लौटी। उनकी यह यात्रा विज्ञान और मानवता के लिए एक बड़ी प्रेरणा बनी रहेगी।