हर पुरुष के लिए बड़ी खबर! अब झूठे केस में नही फंसा पायेंगी महिलायें, आरोप लगाने वालों पर भी होगी कार्रवाई
केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पुरुषों को झूठे आरोपों में फंसाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर जताई चिंता

केरल। केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि महिला की हर बात को सत्य मान लेना न्यायिक प्रक्रिया के लिए उचित नहीं है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यौन अपराधों के मामलों में आरोपी के पक्ष की भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने एक महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। कोर्ट ने माना कि झूठे आरोपों के जरिए निर्दोष पुरुषों को फंसाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और यह कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
“सिर्फ महिला होने से हर बयान सत्य नहीं हो सकता” – हाईकोर्ट
✔ पुलिस को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए, केवल शिकायतकर्ता के बयान पर ही कार्रवाई करना उचित नहीं।
✔ यदि महिला के आरोप झूठे पाए जाते हैं, तो उस पर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
✔ झूठे आरोपों से आरोपी की समाज में प्रतिष्ठा और करियर को नुकसान हो सकता है, जिसे पैसे के मुआवजे से ठीक नहीं किया जा सकता।
✔ पुलिस अधिकारियों को सतर्क रहने और सच की जांच करने की सख्त सलाह दी गई।
क्या है मामला?
✔ महिला ने कंपनी के प्रबंधक पर आरोप लगाया कि उसने यौन उद्देश्य से उसका हाथ पकड़ा।
✔ आरोपी ने इसके विपरीत दावा किया कि महिला ने नौकरी से निकाले जाने के बाद उसे गालियां दी और धमकियां दीं।
✔ आरोपी ने इस संबंध में महिला की कथित बातचीत की रिकॉर्डिंग एक पेन ड्राइव में पुलिस को सौंपी।
✔ कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह आरोपी की शिकायत की भी निष्पक्ष जांच करे।
कोर्ट ने आरोपी को दी जमानत
✔ आरोपी को ₹50,000 की जमानत राशि और दो सक्षम जमानतदारों के साथ जमानत दी गई।
✔ उसे जांच में सहयोग करने और गवाहों को प्रभावित न करने की शर्त पर रिहा किया गया।
✔ पुलिस को पेन ड्राइव की जांच करने और दोनों पक्षों की निष्पक्ष जांच करने का आदेश दिया गया।
महत्वपूर्ण संदेश
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि झूठे यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने की बढ़ती प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए। यह फैसला न्याय प्रणाली में संतुलन बनाए रखने और निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसने से बचाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।