उमरिया की शान, पद्म श्री जोधइया बाई बैगा का 86 वर्ष की आयु में निधन
नहीं रही कलम और कुची से जिले का नाम रोशन करने वाली चित्रकार पद्म श्री जोधइया बाई,86 वर्ष की आयु में हुआ निधन

उमरिया, मध्यप्रदेश: आदिवासी चित्रकला को देश-विदेश तक पहचान दिलाने वाली प्रसिद्ध चित्रकार पद्म श्री जोधइया बाई बैगा का रविवार शाम उनके ग्राम लोढ़ा स्थित निवास पर लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 86 वर्षीय जोधइया बाई बीते एक वर्ष से पैरालिसिस और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
बैगा चित्रकला को दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान
जोधइया बाई बैगा ने अपनी विशिष्ट बैगा चित्रकला से न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया। शिक्षा से वंचित होते हुए भी उन्होंने 70 वर्ष की उम्र में चित्रकला सीखनी शुरू की और अपनी कला को ऐसी ऊंचाई तक पहुंचाया कि उनकी प्रतिभा को विश्वभर में सराहा गया। उनके गुरु मशहूर चित्रकार आशीष स्वामी थे, जिन्होंने उन्हें चित्रकला का प्रशिक्षण दिया।
सम्मान और उपलब्धियां
जोधइया बाई बैगा को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई सम्मान मिले, जिनमें प्रमुख हैं:
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राष्ट्रीय नारी शक्ति सम्मान (2022)
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पद्म श्री पुरस्कार (2023)
इन सम्मानों ने उनके जीवन की उपलब्धियों को एक नई पहचान दी।
सादगी भरा जीवन, प्रेरणादायक सफर
जोधइया बाई का जीवन संघर्ष और सादगी से भरा रहा। शिक्षा न होने के बावजूद, उन्होंने अपने अंदर छिपी कला को पहचानकर उसे अपने ही अंदाज में प्रस्तुत किया। उनके चित्र आदिवासी संस्कृति, परंपरा और प्रकृति के रंगों को जीवंत करते थे।
अंतिम विदाई
जोधइया बाई के निधन की खबर से उनके प्रशंसकों और कला प्रेमियों में शोक है। कला प्रेमियों का मानना है कि उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। सोमवार को उनके गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
उमरिया जिला और कला जगत ने आज एक अनमोल रत्न खो दिया।