Delhi CM Oath Ceremony: दिल्ली सीएम के शपथ ग्रहण में बीजेपी का सियासी मास्टरस्ट्रोक, जानें कौन करेगा पीएम मोदी का स्वागत
Delhi CM Oath Ceremony: झुग्गी प्रधान करेंगे पीएम मोदी का स्वागत, बीजेपी का सियासी मास्टरस्ट्रोक

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर बड़ा राजनीतिक दांव खेला गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत की जिम्मेदारी झुग्गी बस्तियों के प्रधानों को देने का फैसला किया है। यह फैसला बीजेपी की एक खास रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के बीच पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
बीजेपी का नया चुनावी दांव
दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में आम आदमी पार्टी (AAP) की मजबूत पकड़ रही है, लेकिन बीजेपी अब इस वर्ग को अपने पक्ष में लाने की तैयारी कर रही है। मंगलवार रात बीजेपी पदाधिकारियों की बैठक में तय किया गया कि झुग्गी प्रधानों को मंच पर बुलाकर पीएम मोदी का स्वागत कराया जाएगा। इसका सीधा संदेश यह है कि मोदी सरकार झुग्गीवासियों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां पूरी
- तारीख: 20 फरवरी 2024
- समय: दोपहर 12 बजे
- स्थान: रामलीला मैदान, दिल्ली
तीन बड़े मंच बनाए जाएंगे:
- मुख्य मंच: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना, नए मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद के सदस्य मौजूद रहेंगे।
- विशिष्ट अतिथि मंच: इसमें विभिन्न धर्मगुरु और गणमान्य लोग शामिल होंगे।
- सांस्कृतिक मंच: यहां पर मशहूर गायक कैलाश खेर की प्रस्तुति होगी।
कई बार बदला गया समय
इस समारोह के लिए पहले शाम 4:30 बजे का समय तय किया गया था, जिसे बाद में सुबह 11:00 बजे और फिर दोपहर 12:00 बजे कर दिया गया।
आज होगा नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान
बीजेपी विधायक दल की बैठक आज (19 फरवरी) शाम 6 बजे होगी, जिसमें नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाएगा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हो चुकी है और बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड भी इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा है।
दिल्ली की सियासत में मचेगा घमासान
बीजेपी के इस नए दांव से साफ है कि पार्टी झुग्गीवासियों को साधने की कोशिश में है। अब देखना होगा कि इस रणनीति का आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों पर क्या असर पड़ता है।