जबलपुर में पहली बार बने दो ग्रीन कॉरिडोर: ऑर्गन ट्रांसप्लांट से दो जिंदगियां बचीं
ब्रेन डेड मरीज का हार्ट और लीवर ने दो लोगो को दिया नया जीवन
रिपोर्टर शेख आरिफ
MP NEWS: मध्यप्रदेश के चिकित्सा इतिहास में एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, जबलपुर में गुरुवार को पहली बार एक साथ दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। सड़क दुर्घटना में घायल सागर जिले के ग्राम मानक्याई निवासी 61 वर्षीय बलिराम कुशवाहा, जिन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया था, उनके हार्ट और लीवर को ट्रांसप्लांट के लिए अलग-अलग शहरों में भेजा गया। इस प्रयास से दो जिंदगियों को नया जीवन मिला।
हार्ट भोपाल और लीवर इंदौर भेजा गया
बलिराम कुशवाहा के हार्ट को नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से डुमना एयरपोर्ट पहुंचाया गया, जहां से इसे एयर एंबुलेंस द्वारा एम्स भोपाल भेजा गया। वहीं, उनका लीवर तिलवारा क्षेत्र के पास बने अस्थाई हेलीपेड से हेलीकॉप्टर के माध्यम से इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल भेजा गया।
रातों-रात हुआ ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण
जबलपुर जिला प्रशासन ने इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए पूरी तत्परता दिखाई। कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर पुलिस, नगर निगम और लोक निर्माण विभाग की टीम ने रातों-रात तिलवारा में अस्थाई हेलीपेड तैयार किया। साथ ही, मेडिकल कॉलेज से एयरपोर्ट और हेलीपेड तक ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया गया, जिससे ट्रांसपोर्टेशन में कोई देरी न हो।
परिवार का साहसिक निर्णय
डॉक्टरों द्वारा ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद, बलिराम कुशवाहा के परिवारजनों ने अंगदान का निर्णय लिया। इस फैसले से दो गंभीर रूप से बीमार मरीजों को नया जीवन मिल सका। भोपाल के एम्स में एक मरीज को हार्ट और इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल में दूसरे मरीज को लीवर प्रत्यारोपित किया गया।
चिकित्सा टीम और प्रशासन का विशेष योगदान
ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में मेडिकल कॉलेज की टीम ने सराहनीय कार्य किया। डॉ. फणींद्र सिंह सोलंकी की टीम ने ट्रांसप्लांट के लिए आवश्यक तैयारी की। जिला प्रशासन और पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर निर्माण में तत्परता से काम किया। स्वास्थ्य आयुक्त तरुण राठी और कमिश्नर अभय वर्मा ने भी इस प्रक्रिया पर लगातार निगरानी रखी।
राज्य के लिए ऐतिहासिक कदम
मध्यप्रदेश में इस तरह से एक साथ दो ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया। मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस सफलता के लिए परिवारजनों, मेडिकल टीम और प्रशासन को बधाई दी।
प्रेरणा बनी यह घटना
बलिराम कुशवाहा के अंगदान ने न केवल दो जिंदगियां बचाई, बल्कि समाज को अंगदान के महत्व को समझाने का एक प्रेरणादायक संदेश दिया है। उनके साहसिक निर्णय को नमन और श्रद्धांजलि।
इससे पूर्व अनमोल जैन का भी अंगदान हुआ
इससे पहले सोहागपुर के युवा अनमोल जैन पिता अभिषेक जैन का भी अंगदान हुआ था जिसके अंगदान से पांच लोगों का जीवन बचा था