छठ पूजा पर्यावरण व भाईचारा सौहार्द को बढ़ावा देने के साथ-साथ लोगों का भावावेश प्रतीक
छठ पूजा पर्यावरण व भाईचारा सौहार्द को बढ़ावा देने के साथ-साथ लोगों का भावावेश प्रतीक
ई.आर.के.जायसवाल
आस्था व सूर्योपासना का अनुपम लोकपर्व छठ पूजा मुख्य रूप से देश में पूर्वांचल क्षेत्र के बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता रहा है। लेकिन कुछ वर्षों से देश के अन्य राज्यों सहित विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाने लगा हैं और विश्वभर में प्रसिद्ध हो गया है। वहीं पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ सबसे पर्यावरण-अनुकूल हिंदू त्यौहार है साथ ही साम्प्रदायिक सौहार्द व भाईचारा को बढ़ावा देने बाले आस्था व मन्नत का पर्व हैं और लोगों के भावनाओं से भी जुड़ी हुई है।
इस बार छठ पर्व पांच नवम्बर को पहले दिन यानी मंगलवार को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा शुरू होगा, दूसरे दिन 6 नवंबर को खरना, 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य और 8 नवंबर को प्रात: कालीन सूर्य देव को अर्घ्य देकर समापन होगा।
आस्था है कि जो छठ पर्व पर भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा- अर्चना पूरे विधि विधान से करते हैं, उन्हें षष्ठी देवी संतान की प्राप्ति, संतान की दीर्घायु, संतान की कुशलता प्राप्त होती है। हिन्दु समाज में जब बच्चा जन्म लेता है और बच्चे के जन्म के छठे दिन मनाई जाने वाली छठी पर भी षष्ठी देवी की ही पूजा की जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, छठी मईया बच्चों को बीमारियों और समस्याओं से बचाती हैं और उन्हें लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य देती हैं इसलिए यह पर्व लोगों के भावनात्मक पर्व मानी जाती है। वहीं छठ पूजा बिहार में कुछ जगहों पर हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे जाते हैं। माना जाता है कि इस पर्व का पालन करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बरसती है। छठ पर्व को समृद्धि और पूर्णता की प्रतीक बताते है।
छठ पूजा को लेकर कई कथाएँ प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है। छठ पूजा आस्था का महापर्व माना जाता है। माना जाता है कि इस पर्व का पालन करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बरसती है। छठ पर्व को समृद्धि और पूर्णता की प्रतीक बताते है।
ईं. आर.के.जायसवाल (समाजसेवी)
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी “मानवाधिकार एक्शन फ़ोरम“