स्व. एम.एल. वर्मा के निधन पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित, मृत्यु भोज की कुप्रथा को खत्म करने का लिया संकल्प
स्व. एम.एल. वर्मा के निधन पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित, मृत्यु भोज की कुप्रथा को खत्म करने का लिया संकल्प

रिपोर्टर अवधेश चौकसे सालीचौका
सालीचौका, गाडरवारा: शिक्षाविद्, साहित्यकार और समाजसेवी स्वर्गीय मोहनलाल वर्मा के निधन पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इसमें सैकड़ों समाजसेवियों, गणमान्य नागरिकों और लोधी समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने शामिल होकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मृत्यु भोज का विरोध
स्व. वर्मा ने अपनी मृत्यु से पहले अप्रैल 2023 में लोधी लोधा समाज के प्रादेशिक अधिवेशन में घोषणा की थी कि उनके निधन के बाद मृत्यु भोज का आयोजन नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस प्रथा को समाज पर आर्थिक बोझ बताते हुए इसे समाप्त करने का आह्वान किया था। उनके इस संकल्प को उनके परिवार ने पूरी निष्ठा से निभाया।
परिवार ने निभाया कर्तव्य
उनके पुत्र शिक्षक कृष्ण कांत वर्मा, अनुराग वर्मा (प्रदेश उपाध्यक्ष, युवा इकाई), लाखन वर्मा, बेटी श्रीमती कमलेश वर्मा (महिला प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष), श्रीमती प्रतिभा वर्मा और पूरे परिवार ने मृत्यु भोज न करने का निर्णय लिया। इसके स्थान पर शोकसभा आयोजित कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
श्रद्धांजलि सभा में उमड़ी भीड़
सभा में लोधी समाज के राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर के प्रमुख पदाधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, और नगर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। सभी ने स्व. वर्मा की सामाजिक सोच और उनके योगदान की सराहना की।
समाज सुधार की दिशा में कदम
सभा में उपस्थित लोगों ने स्व. वर्मा के इस निर्णय की सराहना करते हुए इसे समाज सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि मृत्यु भोज जैसी कुप्रथाएं समाज पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डालती हैं और इसे खत्म करना आवश्यक है।
प्रेरणा का स्रोत
स्व. एम.एल. वर्मा ने शिक्षा, साहित्य और समाज सेवा में अपना जीवन समर्पित किया। उनके इस अंतिम संकल्प ने समाज को एक नई दिशा दी है और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।
मुख्य बातें
- स्व. वर्मा ने मृत्यु भोज न करने का लिया था संकल्प।
- परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए इस प्रथा को बंद किया।
- श्रद्धांजलि सभा में सैकड़ों लोगों ने दिवंगत आत्मा को पुष्पांजलि अर्पित की।
समाज के लिए संदेश
यह आयोजन समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने की प्रेरणा देता है और यह दर्शाता है कि सच्ची श्रद्धांजलि अनावश्यक प्रथाओं को त्यागकर दी जा सकती है।