संत समागम के दूसरे दिन आध्यात्मिक प्रवचनों से गूंजा वातावरण, फूलों की होली खेल श्रद्धालु हुए भाव-विभोर

रिपोर्टर सुनील राठौर भौरा
भौरा। मानव कल्याण सेवा समिति शाखा टेकरीपुरा के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय आध्यात्मिक संत समागम का समापन रविवार रात्रि को श्रद्धा और उल्लास के साथ हुआ। इस अवसर पर संतों के ओजस्वी प्रवचनों ने श्रद्धालुओं को आध्यात्म और राष्ट्रप्रेम से जुड़ने की प्रेरणा दी। समापन से पूर्व श्रद्धालुओं ने फूलों की होली खेलकर भक्ति का अद्भुत आनंद प्राप्त किया, और अंत में विशाल भंडारे एवं प्रसादी वितरण के साथ इस आध्यात्मिक आयोजन का समापन हुआ।
शिक्षा में आध्यात्म जोड़ने पर महात्मा सौम्यानंद जी का जोर
महात्मा सौम्यानंद जी ने अपने प्रवचन में शिक्षा और आध्यात्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि समाज में हम शिवाजी, स्वामी विवेकानंद और झांसी की रानी जैसे महापुरुषों को देखना चाहते हैं, तो हमें अपनी शिक्षा में आध्यात्म को जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक शिक्षा ही युवाओं को चरित्रवान, निडर और राष्ट्रभक्त बना सकती है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के जीवन का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे एक सशक्त आध्यात्मिक चेतना ने उन्हें भारत को जागृत करने वाला महान संत बना दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि माता-पिता अपने बच्चों को बचपन से ही संस्कार, धर्म और राष्ट्रसेवा की शिक्षा दें, तो वे आने वाले समय में समाज और देश के लिए महान कार्य कर सकते हैं। उनका यह संदेश श्रद्धालुओं के बीच गहरी छाप छोड़ गया।
गुरु भक्ति और सतपाल महाराज के उपदेशों पर महात्मा सुजाताबाई जी का संदेश
महात्मा सुजाताबाई जी ने गुरु भक्ति और सेवा भाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सच्चे गुरु की शरण में जाने से ही व्यक्ति के जीवन का अंधकार समाप्त होता है। उन्होंने कहा कि गुरु ही व्यक्ति को आत्मज्ञान की राह दिखाते हैं और उसे भटकाव से बचाते हैं।
उन्होंने अपने प्रवचन में संत सतपाल महाराज के उपदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु का मार्गदर्शन ही व्यक्ति को सच्ची आध्यात्मिक शांति और ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होता है। उन्होंने कहा कि सतपाल महाराज हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि सिर्फ धार्मिक कर्मकांडों से नहीं, बल्कि सच्ची भक्ति और आत्मानुभूति से ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है।
महात्मा सुजाताबाई जी ने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में सद्गुरु के मार्गदर्शन को अपनाएं और सतपाल महाराज द्वारा बताए गए सेवा, प्रेम और भक्ति के मार्ग का अनुसरण करें। उन्होंने कहा कि गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा और समर्पण से ही आत्मा को शुद्धता और शांति मिलती है।
फूलों की होली से गूंजा आध्यात्मिक रंग, श्रद्धालुओं ने उठाया आनंद
रविवार रात्रि को हुए कार्यक्रम में फूलों की होली का विशेष आयोजन किया गया। संतों के भजनों और प्रवचनों के बीच जब भक्तों ने एक-दूसरे पर फूल बरसाए, तो पूरा माहौल भक्ति और प्रेम के रंग में रंग गया। “राधे-राधे”, “हरि बोल” और “हरे कृष्णा” की ध्वनियों से वातावरण गूंज उठा। इस आध्यात्मिक होली के दौरान श्रद्धालुओं ने संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया और आनंदित महसूस किया।
भंडारे और प्रसादी वितरण के साथ समापन
आयोजन के अंतिम चरण में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। इस अवसर पर भक्तों ने सेवा कार्य में भी भाग लिया और संतों के मार्गदर्शन में अध्यात्म, भक्ति और सेवा का संकल्प लिया।
समिति ने किया आभार व्यक्त
मानव कल्याण सेवा समिति शाखा टेकरीपुरा ने समागम में पधारे सभी संतों, श्रद्धालुओं और सेवकों का आभार व्यक्त किया। समिति ने कहा कि इस प्रकार के आध्यात्मिक आयोजनों से समाज में सद्भाव, नैतिकता और भक्ति का प्रसार होता है।
श्रद्धालुओं ने संत समागम को एक अविस्मरणीय अनुभव बताया और आशा जताई कि भविष्य में भी ऐसे आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे, जिससे समाज में सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा का संचार होता रहे।