
पति के दीर्घायु होने की कामना से रखा उपवास
सातुड़ी तीज पर घर घर पूजा
गाडरवारा l राजस्थानी मारवाड़ी समाज की महिलाओं व्दारा सामुहिक रूप से विभिन्न स्थानों पर लोकपरम्पराओ के संवर्धन की दिशा में अनेक पावन पर्व मनाये जाते हैं इसी श्रृंखला में विगत रात्रि महिलाओं ने सातुड़ी तीज स्थापित परम्परा के अनुसार उत्साह और उमंग के साथ मनाया l विशेष रूप से नवविवाहिता महिलाओं ने पहली सातुड़ी तीज पर बढ चढ कर सुहाग के मंगलमय श्रृंगार नये आभूषणों, से सजधर कर शामिल रही l

उल्लेखनीय है कि इस दिन अपने अपने जीवन साथी पतिदेव के साथ जन्म जन्मांतर तक रहने के साथ अपने परिवार व परिजनों की समृध्दि के लिए भगवान शिव पार्वतीजी के सम्मुख कामना प्रार्थना करती हैं इस अवसर पर उपवास भी रखा जाता है और निम्बोडी की पूजा अर्चना, कथा वाचन करने के उपरांत चन्द्रमा के दर्शन, पूजा अर्चना करने के बाद अपना उपवास पूर्ण करती हैं इस पावन दिवस को सातुड़ी तीज के नाम से जाना जाता है इस दिन गेहूं, चावल,, चना का सत्तू नामक मीठा व्यंजन बनाने की परम्परा है वही दूसरी ओर महिलाओं व्दारा इस दिन मिलने के लिए एक दूसरे के घरों घर जाकर पांवाधोक करते हुए अपने बडो से आशीर्वाद प्राप्त करती है इस दिन बनने वाला मिष्ठान समाज के विभिन्न वर्गों में सर्वप्रिय है और आज भी कुछ परिवार अपने परिचित और निकटम लोगों को आंमत्रित कर सत्तू का रसास्वादन कराने की पुरानी परम्पराएं बनाये रखे हुए हैं अनेक लोगों को इस दिन का इंतजार रहता है क्योंकि यह व्यंजन बाजारों या मारवाड़ी परिवार के अलावा चलन में नहीं ,इसका स्वाद अपने आप में अलग ही रहता है और इसकी पहचान भी अलग है l
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