MP बोर्ड में बड़ा बदलाव: अब 10वीं-12वीं की परीक्षाएं साल में दो बार, छात्रों को मिलेगा अंक सुधार का मौका
मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव, अब होगी द्वितीय परीक्षा

भोपाल, 21 मार्च 2025 – मध्यप्रदेश सरकार ने माध्यमिक शिक्षा अधिनियम, 1965 में बड़ा संशोधन करते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित परीक्षाओं की प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब छात्रों को मुख्य परीक्षा के बाद “द्वितीय परीक्षा” (सप्लीमेंट्री) का अवसर मिलेगा, जिससे वे अपनी शैक्षणिक प्रदर्शन को सुधार सकेंगे। यह संशोधन मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित किया गया है और इसे www.govtpressmp.nic.in से डाउनलोड किया जा सकता है।
संशोधित नियमों के प्रमुख बिंदु
1. अब साल में दो परीक्षाएं होंगी
मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल अब हाईस्कूल (कक्षा 10वीं) और हायर सेकेंडरी (कक्षा 12वीं) के लिए दो परीक्षाएं आयोजित करेगा –
- मुख्य परीक्षा – प्रतिवर्ष फरवरी-मार्च में आयोजित होगी।
- द्वितीय परीक्षा – मुख्य परीक्षा में असफल छात्रों के लिए जुलाई-अगस्त में आयोजित की जाएगी।
इससे उन छात्रों को राहत मिलेगी जो मुख्य परीक्षा में असफल हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें पूरे साल इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
2. उच्च कक्षा में अस्थायी प्रवेश की सुविधा
- जिन छात्रों को द्वितीय परीक्षा में बैठना है, वे अस्थायी रूप से अगली कक्षा में प्रवेश ले सकते हैं।
- यदि वे द्वितीय परीक्षा में सफल हो जाते हैं, तो उनकी उपस्थिति मान्य होगी और उन्हें पूरी तरह से प्रवेश मिल जाएगा।
- यह नियम उन छात्रों के लिए फायदेमंद होगा जो परीक्षा में एक या दो विषयों में असफल हो जाते हैं, जिससे उनका शैक्षणिक वर्ष बर्बाद नहीं होगा।
3. अंक सुधार का अवसर मिलेगा
- मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण हो चुके छात्र भी अपनी अंक सुधारने के लिए द्वितीय परीक्षा में बैठ सकते हैं।
- यदि कोई छात्र अपने अंकों से संतुष्ट नहीं है, तो वह द्वितीय परीक्षा देकर अपना स्कोर बढ़ाने का प्रयास कर सकता है।
- यह उन छात्रों के लिए महत्वपूर्ण होगा जो उच्च शिक्षा या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और अच्छे अंकों की जरूरत है।
4. प्रायोगिक परीक्षा में अलग से सुधार का मौका
- यदि कोई छात्र प्रायोगिक परीक्षा (Practical/Internal Assessment) में असफल होता है, तो उसे सिर्फ प्रायोगिक परीक्षा दोबारा देने का अवसर मिलेगा।
- इससे उन छात्रों को राहत मिलेगी जो केवल प्रायोगिक परीक्षा में असफल हुए हैं और पूरी परीक्षा दोबारा देने की जरूरत नहीं होगी।
5. उत्तर पुस्तिका खोने पर पुनः परीक्षा देने का मौका
- यदि किसी छात्र की उत्तर पुस्तिका (Answer Sheet) परीक्षा मंडल द्वारा खो दी जाती है, तो उसे पुनः परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी।
- इससे छात्रों के साथ होने वाली किसी भी अन्यायपूर्ण स्थिति को रोका जा सकेगा।
6. परीक्षा शुल्क और विषय परिवर्तन के नियम
- द्वितीय परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों को निर्धारित परीक्षा शुल्क जमा करना होगा।
- द्वितीय परीक्षा के दौरान, छात्र अपने विषय नहीं बदल सकते, उन्हें वही विषय रखने होंगे जो उन्होंने मुख्य परीक्षा में चुने थे।
7. “पूरक परीक्षा” को अब “द्वितीय परीक्षा” कहा जाएगा
- पुराने नियमों में जिसे “पूरक परीक्षा” (Supplementary Exam) कहा जाता था, अब उसे “द्वितीय परीक्षा” (Second Exam) के रूप में जाना जाएगा।
- यह बदलाव छात्रों की मानसिकता को सकारात्मक बनाए रखने के लिए किया गया है, ताकि उन्हें “असफलता” की भावना से बाहर लाया जा सके।
CBSE की तर्ज पर MP बोर्ड का फैसला
CBSE ने भी अगले सत्र से 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं साल में दो बार कराने की घोषणा की थी। अब MP बोर्ड भी इसी मॉडल को अपना रहा है। हर साल लगभग 18 लाख छात्र MP बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं, ऐसे में यह बदलाव छात्रों के हित में अहम साबित हो सकता है।
छात्रों को तुरंत दूसरा मौका मिलेगा – अब मुख्य परीक्षा में असफल होने वाले छात्रों को पूरा साल इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
समय की बचत होगी – छात्र एक साल खोने के बजाय जल्द ही अपनी शिक्षा जारी रख सकेंगे।
अंक सुधार का अवसर – जो छात्र अच्छे अंकों के लिए मेहनत करना चाहते हैं, वे अपने प्रदर्शन को और बेहतर बना सकेंगे।
मानसिक तनाव कम होगा – पहले पूरक परीक्षा को लेकर जो नकारात्मकता थी, वह अब “द्वितीय परीक्षा” शब्द से दूर की जाएगी।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सहायक – उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को अपनी मार्कशीट सुधारने का अवसर मिलेगा।
निष्कर्ष
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किया गया यह बदलाव छात्रों के लिए सकारात्मक और लाभदायक साबित होगा। इससे छात्रों को शिक्षा में आगे बढ़ने के अधिक अवसर मिलेंगे और उनके समय तथा मानसिक दबाव को कम किया जा सकेगा।