गाडरवारामध्य प्रदेशराज्य

लगातार तीसरी बार धूनी मैया को लाखों के स्वर्ण आभूषण भेंट

चैत्र नवरात्रि महोत्सव में भक्ति की अनूठी मिसाल, शिवानंद जी महाराज ने किया स्वर्ण आभूषणों का अर्पण

गाडरवारा | साईखेडा नगर में आयोजित चैत्र नवरात्रि महोत्सव में भक्ति का एक अद्भुत दृश्य देखने को मिल रहा है। 21 दिवसीय इस महोत्सव के दौरान श्रद्धा, सेवा और आस्था की मिसाल बन चुकी ‘धूनी मैया’ को इस वर्ष लगातार तीसरी बार लाखों के स्वर्ण व रजत आभूषणों से अलंकृत किया गया है।

शिवपुराण से हुआ शुभारंभ, दुर्गा पूजा-पाठ जारी

नगर परिषद साईखेडा के कचहरी के सामने स्थित आनंद भवन परिसर में 19 मार्च से शुरू हुआ 21 दिवसीय चैत्र नवरात्रि महोत्सव जनसमुदाय के सहयोग और श्रद्धा से पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। 27 मार्च तक श्री शिवपुराण कथा संपन्न हुई, जिसके उपरांत 30 मार्च से 7 अप्रैल तक 108 ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा सप्तशती के पाठ एवं पूजा अनुष्ठान चल रहे हैं।

पूजा स्थल पर पारंपरिक रूप से घट स्थापना, जवारे बोना और ज्योत प्रज्वलन की विधिवत शुरुआत की गई, जिसमें श्रद्धालु दिनभर दर्शन व पूजन कर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

शाम को होती है दादा दरबार में आरती व संकीर्तन

प्रत्येक संध्या 7:30 बजे दादा दरबार में भव्य शृंगार, आरती एवं संकीर्तन होता है। ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच “भज लो दादा जी का नाम, भज लो हरिहर जी का नाम” जैसे भजनों से पूरा परिसर भक्तिमय हो जाता है।

सैकड़ों श्रद्धालु संकीर्तन में भाग लेते हैं और पूरे आयोजन में दिव्यता का अनुभव करते हैं।

धूनी मैया को तीसरी बार भेंट किए गए लाखों के आभूषण

पूजन के दौरान शिवानंद जी महाराज द्वारा धूनी मैया को फलों, नारियल, काजू, किशमिश, बादाम, अखरोट के साथ-साथ तोलों में सोने-चांदी के आभूषण भेंट किए गए।

इस बार लगातार तीसरी बार धूनी मैया को नर्मदा मैया के शृंगार हेतु कई तोला सोने-चांदी के हार, मंगलसूत्र, झुमके, नथ, पायल, कंगन, चुनरी और साड़ी अर्पित की गईं।

सूत्रों के अनुसार अब तक 20 से 25 तोला सोने के जेवर और किलो से अधिक चांदी के आभूषण धूनी मैया को अर्पित किए जा चुके हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 22 से 25 लाख रुपये आंकी जा रही है।

यह दृश्य श्रद्धा और समर्पण का एक अद्वितीय प्रतीक बन चुका है।

भिवूति वितरण और विशाल भंडारे का आयोजन

धूनी के पूजन के पश्चात शिवानंद जी महाराज श्रद्धालुओं को भिवूति (पवित्र भस्म) प्रदान करते हैं। इस भिवूति को पाने के लिए हजारों लोग लंबी कतारों में खड़े रहते हैं, जिससे उनके आस्था और विश्वास का गहरा भाव प्रकट होता है।

इसके साथ ही हर दिन हजारों भक्त पंक्ति में बैठकर विविध व्यंजनों से परिपूर्ण भोजन प्रसादी ग्रहण करते हैं। थाली में रोजाना अलग-अलग प्रकार का भोजन परोसा जाता है, जिससे श्रद्धालु भक्ति के साथ-साथ सेवा का भी अनुभव करते हैं।

देशभर से आ रहे हैं श्रद्धालु, महा भंडारे की तैयारी

साईखेडा का यह आयोजन अब केवल स्थानीय न रहकर एक अंतरजिला धार्मिक केंद्र बनता जा रहा है। महाराष्ट्र, ओंकारेश्वर, कटनी, रायसेन, नर्मदापुरम सहित आसपास के जिलों से हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन यहां पहुंच रहे हैं।

सबसे प्रेरणादायक दृश्य तब देखने को मिलता है जब कुछ विकलांग श्रद्धालु गेड़ी के सहारे भी दर्शन हेतु पहुंचते हैं, यह दृश्य भावुक कर देता है और श्रद्धा की सच्ची परिभाषा को उजागर करता है।

महोत्सव का समापन 7 अप्रैल को होने वाले महाभंडारे से होगा, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।

आस्था, सेवा और समर्पण की त्रिवेणी

धार्मिक आयोजनों में जहां भक्ति का भाव होता है, वहीं साईखेडा का यह महोत्सव सेवा और समर्पण की त्रिवेणी बनकर उभरा है।

धूनी मैया को तीसरी बार सोने-चांदी के आभूषण अर्पित करना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था का वह चरम रूप है जहां भक्त स्वयं को ईश्वर के चरणों में समर्पित करता है।

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