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असेम्बली ऑफ़ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल को लिखा पत्र

असेम्बली ऑफ़ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल को लिखा पत्र

रिपोर्टर अवधेश चौकसे

भोपाल – असेम्बली आफ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने श्रम मंत्री पहलाद पटेल से पत्रकारों की वर्तमान में वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए पत्र लिखा। राधावल्लभ शारदा ने पत्र के माध्यम से पत्रकारों को होने वाली व्यवहारिक परेशानियों से श्रम मंत्री को अवगत कराया और उनसे मांग की, कि आप श्रम आयुक्त को निर्देशित करने का कष्ट करें कि समस्त श्रम विभाग के सहायक श्रमायुक्त के माध्यमों से पत्रकारों की जानकारी लेकर सरकार को दें की कितने पत्रकारों को नियुक्ति पत्र एवं वेतन मिलता है जैसा कि देखने में आता है कि दैनिक समाचार पत्रों के मालिकों द्वारा पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों को वेतन आयोग के अनुसार ना तो वेतन देते हो ना ही उन्हें नियुक्ति पत्र देते हैं।
ग्रामीण अंचलों के पत्रकारों को हाॅकर, समाचार लिखने, विज्ञापन लेने, समाचार पत्र की बिक्री की राशि एकत्रित कर, उसी तरह विज्ञापन की राशि एकीकृत कर समाचार पत्र के मालिक को देना होता है। बहुत से समाचार पत्रों के मालिकों ने जिले के अनुसार समाचार पत्रों के एक पृष्ठ का मूल निर्धारित कर दिया जाता है, अब उस पत्रकार को उस एक पृष्ठ की राशि पर विज्ञापन देना है या समाचार उस पत्रकार पर निर्भर है। इस स्थिति के कारण आम जनता को जिसे जानकारी की आवश्यकता है वह उसे नहीं मिलती है, इतना ही नहीं सरकारी योजनाओं से क्या लाभ जनता को मिलना चाहिए इसकी जानकारी भी जनता के पास नहीं पहुंच पाती है। मेहनतकश पत्रकारों को मेहनत करने के बावजूद सरकारें द्वारा जो योजना बनाई गई है उसका लाभ भी नहीं मिलता। यहीं पर मामला समाप्त नहीं होता, जिस भी अवैध काम करने वाले के खिलाफ पत्रकार समाचार लिखते हैं, उससे भी सामना करना पड़ता है। पत्रकारों के पास नियुक्ति पत्र नहीं होने के कारण अधिकारी वर्ग उन्हें पत्रकार नहीं मानता जिससे उन पर झूठी शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज हो जाती हैं। और जो गृह विभाग के आदेश हैं उसका लाभ भी उन्हें नहीं मिलता, राज्य सरकार पत्रकारों को बीमारी पर होने वाली राशि के साथ उनका बीमा भी करती है। अतः आपसे निवेदन है कि श्रम विभाग के आयुक्त को निर्देशित करें कि प्रत्येक जिले के सहायक श्रमायुक्त एवं जिला जनसंपर्क अधिकारी के माध्यम से उन पत्रकारों के नाम भी सूची में शामिल करें जो समाचार पत्रों को समाचार भेजने हैं इसमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत सभी कर्मचारियों को भी शामिल करें।
एक रहेंगे तो हक लेकर रहेंगे।

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